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एक दो तीन चार -जैन धर्म की जय जय कार के जयकारों से गूंज उठा विशुद्ध नगर झांतला, दिगम्बर जैन मंदिर से निकला चल समारोह

प्रदीप जैन September 20, 2021, 11:24 am Technology

सिंगोली। त्याग और तपस्या का महापर्व पर्युषण व अंनत चतुर्दर्शी के उपलक्ष्य में झांतला दिगम्बर जैन समाज द्वारा चल समारोह निकाला गया । जिसमें बड़ी संख्या में जैन समाज की महिला और पुरुष मौजूद रहे । भक्ति भाव और ढोल ढमाकों व बेंड की थाप पर चल समारोह दिगम्बर जैन मंदिर से प्रारंभ हुआ जो सदर बाजार से होकर बालाजी चौराहा ,सुतार मोहल्ला , ठरना मोहल्ला , पटेल मोहल्ला एवं बस स्टैंड से होकर दिगम्बर जैन मंदिर पहुची जहां विधि विधान से भगवान की पूजा अर्चना, अभिषेक, शांतिधारा की गई । तत्पश्चात सभी ने भगवान महावीर स्वामी से सुख सम्रद्धि व देश प्रदेश में कोरोना से मुक्ति की कामना की । पूरे चल समारोह में मौजूद बच्चे महिलाएं व पुरुष भक्ति भाव मे विभोर नजर आये । चल समारोह में त्रिशला नन्दन वीर की जय बोलो महावीर की ,एक दो तीन चार -जैन धर्म की जय जय कार के जयकारों से पूरा नगर गूंज उठा।

समारोह की मुख्य झलकियां :-

चल समारोह में चांदी की पालकी में विराजित श्रीजी का जैन समाजजनों द्वारा नगर में स्थित अपने अपने निवास के सामने बड़े हर्षो उल्लास व विधि विधान द्वारा पूजा अर्चना की। चल समारोह में जगह जगह जैन समाज के महिला पुरुष बुजर्ग एवं नन्हे नन्हे बच्चों ने भगवान की पालकी के समक्ष जमकर नृत्य करते हुए महावीर स्वामी का अमर संदेश जियो ओर जीने दो बोलते हुए चल समारोह में चल रहे थे। समाज की महिलाएं लाल व केशरिया रंग की चुंदड़ी वस्त्र पहनकर धर्म का प्रतीक केशरिया ध्वजा युक्त पालकी में धार्मिक ग्रन्थ अपने सिर पर रखकर महावीर स्वामी का अमर संदेश जियो और जीने दो का जयकारों के साथ समारोह की शोभा बढ़ा रही थी। संध्या समय शास्त्र स्वाध्याय के पश्चात समाजजनों ने घर घर जाकर विगत वर्ष में हुई समस्त भूलों के लिए एक दूसरे से क्षमायाचना कर क्षमापर्व भी मनाया।

छोटी समाज कम परिवार लेकिन समाज का दिल बड़ा होने से संतो का आशीर्वाद अपरम्पार :-

दिगम्बर जैन समाज द्वारा परम पूज्या गणिनी आर्यिका 105 श्री विशुद्धमती माताजी ससंघ का सन 2010 में 41 वा भव्य व ऐतिहासिक वर्षायोग (चतुर्मास ) की अभूतपूर्ण सफलता के साथ सम्पन्न हुआ था । जानकारी अनुसार चतुर्मास के दौरान समाज ने कई ऐतिहासिक बड़े धार्मिक आयोजनों सम्पन्न किये गये थे । समाज द्वारा धार्मिक आयोजन में देश के कई राज्यो से आगंतुक भामाशाहों ने छोटे से गांव में छोटी समाज ने इतने बड़े विशाल आयोजन यह देखकर झांतला को विशुद्ध नगर नाम रखने का खिताब दिया था । जिस नाम पर आर्यिका 105 श्री विशुद्ध मति माताजी ने भी सहमति प्रदान करते हुए बताया था कि छोटा गांव छोटी समाज नगर में सिर्फ 14 परिवार और 16 माताजी का ससंघ का अभूतपूर्ण ऐतिहासिक चतुर्मास सफलता में चार चांद लगाने का काम समाज ने कर दिखाया इससे यह साबित होता है कि झांतला जैन समाज छोटी हुई तो क्या इनका दिल बहुत बड़ा है

आने वाले समय मे यह समाज बहुत बड़ी तरक्की करेगा यही आशीर्वाद है हमारा , जैन संतो के उस आशीर्वाद के चलते झांतला जैन समाज के लोगो ने कई उच्चाइया निरंतर प्रदान कर रहे है।

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