Latest News

संयम ओर आत्मशुद्धि का महापर्व है पर्युषण

प्रदीप जैन September 10, 2021, 8:07 pm Technology

सिंगोली। जैन धर्मावलंबियों का तप त्याग साधना और आत्मशुद्धि का सबसे बड़ा पावन पवित्र महापर्व है दशलक्षण महापर्व है आज प्रथम दिन उत्तम क्षमा पर्व पर जबलपुर से पधारी विद्यासागर जी महाराज की परम शिष्या बाल ब्रम्हचारी दिदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि क्षमा का मतलब सम शब्द संस्कृत मे सम धातु से बना है सम का मतलब सहन करना क्षमा का मतलब पृथ्वी होता है जेसे प्रथ्वी सभी के प्रदाधुओ को सहते हुए भी रत्न उगलती है वैसे भी जो दुसरो मे दुर्व्यवहार को सहने मे समर्थ होता है व क्षमा का अवतार बनता हैं क्षमा का अर्थ क्रोध का निमित्त आने पर क्रोध ना करना क्षमा कहलाता है वही सुबह मन्दिर मे अभिषेक व शान्तीधारा पुजन आदी कार्यक्रम हुए प्रथम शांतिधारा करने का व सोधर्मइन्द बनने का सोभाग्य निर्मल कुमार खटोड़ परिवार व कुबेरइन्द बनने का सोभाग्य कैलाशचंद्र मनोज कुमार मोहिवाल परिवार प्राप्त हुआ। इस अवसर पर समाज के कैलाशचंद्र साकुण्या चांदमल बगडा पारस हरसोरा भरत ठोला प्रकाश ताथेडिया व आदि समाजजन उपस्थित थे।

Related Post