मनासा। भगवान कृष्ण को पूर्ण अवतार कहा गया है। उनकी लीलाये दरअसल एक गहरा सन्देश हैं। अर्थ पूर्ण औऱ प्रेरक। उनका माखन प्रेम संसार में तप की महिमा का संदेश है । पहले आंच पर तपना फिर ख़ूब मथा जाना अर्थात संसार की आंच जो तपेगा थपेड़े खायगा वही नवनीत बनेगा । तप नहीं है अर्थात " नतप ' है । इसका विपरीत पतन है । जो तप नहीं सकेगा उसका पतन होगा। "कालिया देह मर्दन "' मे जल प्रदूषण दूर किये जाने का संदेश है । फैक्टियों के कचरे से नदियों का पानी विषैला हो गया है 'उसे निर्मल बनाने की जरूरत है।बारिश इन्द्र भगवान करते हैं जैसी भ्रामक धारणा को दूर करने के लिए ' प्रभु ने "गोवर्धन पूजा कराई। गौ अर्थात गाय की महिमा का भी सन्देश दिया ।दूध - दही माखन को मथुरा जाने से रोका, जो राजा प्रजापालक नहीं है दुष्ट है वह कर लेने का अधिकारी नहीं है जैसा सन्देश दिया। भगवान कृष्ण की लीलाए ' अर्थ पूर्ण सन्देश हैं । उक्त आशय के विचार पण्डित श्री गोविंद उपाध्याय ने मनासा उषागंज श्री राम मंदिर में व्यक्त किए। वे यहां पन्द्रह दिवसीय भागवत महा पुराण के कृष्ण लीलाओं पर बोल रहे थे। बड़ी संख्या में बाल गोपी - गोप - कृष्ण की भूमिका में बालकों ने आकर भक्ति के प्रवाह में पूरे परिसर को विभोर कर दिया। "छोटी छोटी गइया " भजन के साथ कथा का विराम हुआ।