नई दिल्ली। पेगासस हैकिंग मामले में विपक्ष के विरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप कार्ड खेल दिया है। उन्होंने ऐसा दांव खेला कि विपक्ष के पास जवाब नहीं रहा।
दिल्ली के जंतर-मंतर पर किसानों को समर्थन देने पहुंचे राहुल गांधी पीएम मोदी के इस दांव पर कुछ बोल तक नहीं पाए। यह दांव कुछ और नहीं, बल्कि देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार के नाम से राजीव गांधी का नाम हटाकर हॉकी के जादूगर के नाम पर 'मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार' करने का है। 41 साल बाद हॉकी में भारत के ओलिंपिक मेडल जीतने से अच्छा भला क्या मौका हो सकता था। यानी मौका भी है, दस्तूर भी। ओलिंपिक हॉकी में पुरुष और महिला हॉकी टीम के शानदार प्रदर्शन की हर तरफ चर्चा है।
जहां एक ओर 41 साल बाद पुरुष हॉकी में भारत ने मेडल जीता, वही दूसरी ओर महिला हॉकी टीम ने भी सेमीफाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया। पीएम मोदी ने भी इस ऐतिहासिक मौके को लपकते हुए राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार रख दिया। खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदलने पर पूछा सवाल, तो अनसुना कर आगे चल दिए राहुल, चक दे इंडिया की धूम के बीच मास्टर स्ट्रोक पेगासस के मुद्दे पर विपक्ष लगातार संसद की कार्यवाही ठप कर रहा है।
संसद के दोनों सदन लोकसभा और राज्यसभा में हंगामे की तस्वीरें रोज सामने आ रही हैं। वहीं इन्हीं दिनों तोक्यो ओलिंपिक में हॉकी टीम ने पूरे देश को गर्व का मौका दिया है। दिल्ली से लेकर देहरादून तक हर तरफ चक दे इंडिया की धूम है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक जनभावनाएं पूरी तरह हॉकी टीम के पक्ष में हैं। हो भी क्यों ना, पीढ़ियों बाद टीम ने ओलिंपिक मेडल पर कब्जा जमाया है। पीएम मोदी को अकसर चौंकाने वाले फैसले लेने के लिए जाना जाता है। मौका भी और दस्तूर भी वाली कहावत को सिद्ध करते हुए पीएम मोदी ने राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदलने में जरा भी देर नहीं लगाई। हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद के नाम पर खेल रत्न अवॉर्ड करने के साथ ही पीएम ने विपक्ष को कहीं ना कहीं चुप कर दिया है।