कांग्रेस नेता तरूण बाहेती का बड़ा खुलासा- प्रशासन, बैंक और बीमा कंपनी में उल्लझ कर रह गए जिले के 1141 किसान

Neemuch headlines August 3, 2021, 12:05 pm Technology

-प्रीमियम कटने के बाद भी 2019-20 बीमा देने से बीमा कंपनी का इंकार

- अटक गए हैं कि किसानों के 3 करोड़ 50 लाख रूपए

नीमच। केंद्र के निर्देश और प्रदेश सरकार की कार्रवाई के बाद भी जिले में 1141 किसान प्रशासन, बैंक और बीमा कंपनी के बीच उलझ कर रह गए हैं। प्रीमियम कटने के बाद भी 2019-20 की फसल बीमा राशि देने से बीमा कंपनी ने इंकार कर दिया है। हालात यह है कि जिले में 1141 किसानों का करीब 3 करोड़ 50 लाख रूपए की बीमा राशि अटक गई है, पर इस ओर न तो प्रशासन का ध्यान है और न ही शासन गंभीरता ले रहा है।

यह खुलासा कांग्रेस नेता तरूण बाहेती ने मय तथ्यों और सबूतों के किया हैं। उन्होंने बताया कि 2020 में प्रीमियम कटने के बाद भी किसानों को बीमा राशि का भुगतान नहीं होने पर, वे वंचित किसानों के साथ तत्कालीन कलेक्टर जितेंद्रसिंह राजे से मिले थे, जिस पर कलेक्टर ने जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया था। जांच में यह बात सामने आई थी कि बैंक की त्रुटी के कारण करीब 1141 किसानों की फसल बीमा राशि का भुगतान नहीं हो पाया है, जबकि बैंकों ने फसल बीमा के नाम पर किसानों के बैंक खातें से प्रीमियम की राशि काट ली है। मामले में कलेक्टर ने शासन को अवगत कराया था और मप्र के कई जिलों में इस तरह की समस्या होने पर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार का पत्र लिखा था, जिस पर केंद्र सरकार ने 1 से 10 मार्च 2021 तक प्रधानमंत्री फसल बीमा का पोर्टल पुनः खोलने की बात कही थी और बैंकों को निर्देशित किया था कि वे वंचित किसानों की जानकारी दोबारा पोर्टल पर अपलोड करें। इसके बाद बैंकों ने जानकारी भी अपलोड कर दी, लेकिन जिले के किसानों को फसल बीमा का लाभ नहीं मिला, जिस पर उपसंचालक कृषि विभाग ने नीमच जिले में फसल बीमा करने वाली रिलायंस जनरल इंशोरेंस को पत्र लिखा था, जिसका जवाब देते हुए रिलासंस जनरल इंशोरेंस ने स्पष्ट कर दिया कि वे पोर्टल पर किसानों का डाटा अपलोड करने की अंतिम तारिख 5 नवंबर 2020 थी, लेकिन निर्धारित समय सीमा के कई महिनों बाद बैंकों ने किसानों को डाटा उपलोड किया, ऐसे में जिन किसानों का डाटा पोर्टल पर समय सीमा में उपलोड हुआ था, उन्हें फसल बीमा की राशि जारी कर दी गई, लेकिन जिन किसानों की जानकारी पोर्टल पर समय सीमा के बाद उपलोड हुई, इसके लिए बीमा कंपनी जिम्मेदार नहीं है।

कांग्रेस नेता तरूण बाहेती ने बताया कि जिले में फसल बीमा करने वाली रिलायंस इंशोरेंस कंपनी ने अपने जवाब में यह भी कहा कि पोर्टल पर डाटा अपलोड करने में देरी बैंकों से हुई, जिसके लिए कंपनी कतई जिम्मेदार नहीं है और खरीफ फसल सत्र 2019 का समापन भी हो चुका है और इस संबंध में कंपनी आगे भी किसी भी प्रकार की कार्रवाई के लिए असमर्थ रहेगी।

कौन करेगा फसल बीमा के साढे 3 करोड़ का भुगतान :-

कांग्रेस नेता श्री बाहेती ने कहा कि जिले में 1141 किसान वर्ष 2019-20 की प्रधानमंत्री फसल बीमा राशि से वंचित रह गए हैं, जिन्हें लाभ देने के लिए केंद्र सरकार ने निर्देश, जिस पर प्रदेश सरकार ने दोबारा पोर्टल खोला, बैंकों ने त्रुटी सुधार वंचित किसानों का पोर्टल पर अपलोड किया, पर अब बीमा कंपनी रिलायंस इंशोरेंस ने किसानों को बीमा राशि का भुगतान करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि अब कौन करेगा वंचित किसानों को बीमा राशि का भुगतान। क्योंकि केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में प्रदेश सरकार ने किसानों का बैंकों के माध्यम से फसल बीमा कराया, बैंकों ने किसानों के खातों से फसल बीमा की प्रीमियम काटी, ऐसे में अब कौन बनेगा और जिम्मेदार और किसानों को उनका हक दिलाएगाऔर वंचित किसानों को साढे 3 करोड़ रूपए के फसल बीमा का भुगतान कराएगा। केंद्र सरकार, राज्य सरकार, बैंक या फिर प्रशासन।

किसानों के हक के लिए जाएंगे न्यायालय :-

कांग्रेस नेता तरूण बाहेती ने बताया कि खरीफ वर्ष 20190-20 में प्रधानमंत्री फसल बीमा की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करने के दौरान आधार नंबर, बैंक खाता संख्या और कुछ अन्य त्रुटियों के कारण रिलायंस इंशोरेंस ने जिले के 1141 किसानों बीमा राशि का भुगतान करने से इंकार कर दिया है, जबकि प्रति हेक्टेयर 4000 रूपए बीमा प्रीमियम के किसानों के खाते से काटे गए थे, जो करीब 12 लाख रूपए होती है। जिसके संबंध में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने घोषणा की थी कि सभी किसानों को फसल बीमा का लाभ मिलेगा। ऐसे में प्रति किसान को करीब 35 हजार रूपए बीमा राशि का भुगतान होना चाहिए थे और 1141 किसानों का आंकड़ा निकाला जाए तो लगभग 3 करोड़ 50 लाख से अधिक की बीमा राशि का भुगतान किसानों को होना था, पर अब फसल बीमा करने वाली रिलायंस इंशोरेंस के जवाब के बाद स्थिति साफ हो गई है कि वह वंचित किसानों को फसल बीमा का लाभ देने के पक्ष में बिलकुल नहीं है और न ही प्रीमियम राशि लौटाने के पक्ष में हैं, जिसे देखते हुए किसानों के हक की लड़ाई को यह खत्म नहीं किया जाएगा और किसानों के हक के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा।

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