केदारनाथ के द्वार खुले बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की सभी तैयारिया पूर्ण, मंगलवार को ब्रह्ममुहूर्त मे खुलेंगे कपाट

Neemuch headlines May 17, 2021, 2:23 pm Technology

आज प्रातः केदारनाथ धाम के कपाट सुबह पांच बजे मेष लग्न में विधि विधान से खुल गए। हिमालय में नर नारायण पर्वत के बीच स्थित भगवान श्रीबदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया भी सोमवार हुई शुरू। बदरीनाथ धाम के कपाट मंगलवार 18 मई को प्रात: 4 बजकर 15 बजे खुल रहे हैं। रविवार को श्री नृसिंह मंदिर से आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी के साथ योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर पहुंच गए हैं।

कल शाम श्री उद्धव एवं श्री कुबेर के साथ ही आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी बदरीनाथ धाम पहुंच गई है। कपाट खुलने से पूर्व गर्भ गृह से माता लक्ष्मी को लक्ष्मी मंदिर में स्थापित किया जावेगा और कुबेर जी व उद्धव जी की चल विग्रह मूर्ति को गर्भ गृह में स्थापित किया जावेगा परंपरा एवं विधि विधान से। देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह हिंदू धर्म की करोडो़ं वर्ष सेे च़ली आ रही इस परंपरा में पहली बार धर्मावलंबी चिरायु दर्शन से वंचित रहे कोरोना संक्रमण के कारण, चारधाम यात्राकरने वाले। चारधाम में व्यवस्थाओं को देख रहे गढ़वाल आयुक्त एवं देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन ने चारधाम के कपाट खुलने के अवसर पर कोविड गाइडलाइन का पालन करने के लिए कहा है।

श्री बद्रीनाथ धाम, बद्रीनारायण मन्दिर भारत के राज्य उत्तराखण्ड के चमोली जनपद में अलकनन्दा नदी के तट पर स्थित एक हिन्दू मन्दिर है। यह हिंदू देवता विष्णु को समर्पित मंदिर है और यह स्थान इस धर्म में वर्णित सर्वाधिक पवित्र स्थानों, चार धामों, में से एक यह एक प्राचीन मंदिर है जिसका निर्माण ७वीं-९वीं सदी में होने के प्रमाण मिलते हैं। मन्दिर के नाम पर ही इसके इर्द-गिर्द बसे नगर को भी बद्रीनाथ ही कहा जाता है। भौगोलिक दृष्टि से यह स्थान हिमालय पर्वतमाला के ऊँचे शिखरों के मध्य, गढ़वाल क्षेत्रमें, समुद्र तल से ३,१३३ मीटर (१०,२७९ फ़ीट) की ऊँचाई पर स्थित है। जाड़ों की ऋतु में हिमालयी क्षेत्र की रूक्ष मौसमी दशाओं के कारण मन्दिर वर्ष के छह महीनों (अप्रैल के अंत से लेकर नवम्बर की शुरुआत तक) की सीमित अवधि के लिए ही खुला रहता है। यह भारत के कुछ सबसे व्यस्त तीर्थस्थानों में से एक है; ९ वर्ष पूर्व -२०१२ में यहाँ लगभग १०.६ लाख तीर्थयात्रियों का आगमन दर्ज किया गया था,किंतु आज कोरोना संक्रमण काल ने इस यात्रा पर ग्रहण लगा दिया है।

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