ईद-उल-फितर इस्लाम का पावन त्योहार है। इसे मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है। रमजान के बाद 10वें शव्वाल की पहली तारीख को ईद मनाई जाती है। ईद मनाने की तारीख चांद को देखकर निश्चित होती है। ईद का चांद नजर आ चुका है, आज ईद मनाई जा रही है। ईद-उल-फितर पर खासतौर पर सेंवई बनती हैं। लोग एक-दूसरे के गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं।
ईद कैसे मनाते हैं:-
यह त्योहार भाईचारे का संदेश देता है। इस दिन मुस्लिम लोग सुबह नए कपड़े पहनकर नमाज अदा करते हुए सुख- चैन की दुआ मांगते हैं। इस मौके पर खुदा का शुक्रिया किया जाता है क्योंकि उन्होंने रमजाने के पूरे महीने रोजा रखने की ताकत दी। ईद पर जकात यानी अपनी कमाई की एक खास रकम गरीबों या जरूरतमंदों के लिए निकाली जाती है।
इतिहास:-
इस्लामिक मान्यताओं अनुसार ईद उल फितर की शुरूआत जंग-ए-बद्र के बाद हुई थी। दरअसल इस जंग में पैगंबर मुहम्मद साहब के नेतृत्व में मुसलमानों को जीत हासिल हुई थी। युद्ध जीतने की खुशी जाहिर करने के लिए लोगों ने ईद का पर्व मनाया था। साल में दो बार ईद मनाई जाती है।
दूसरी ईद जिसे ईद-उल-अज़हा और बकरीद के नाम से भी जाना जाता है। यह ईद इस्लामी कैलंडर के आखरी महीने की दसवीं तारीख को मनाई जाती है। ईद उल-फितर का सबसे अहम मक्सद ग़रीबों को फितरा देना भी होता है। जिससे गरीब और मजबूर लोग भी ईद मना सकें और इस खास अवसर पर नये कपडे पहन सकें। ईद के दिन लोग एक दूसरे के दिल में प्यार बढ़ाने और नफरत मिटाने के लिए एक दूसरे से गले मिलते हैं।
ईद के दिन हर मुसलमान का फ़र्ज़ होता है कि वो दान दे। यह दान दो किलोग्राम किसी भी खाने की चीज़ का हो सकता है,