भगवान पशुराम जयंती पक़र जानें शुभ मुहूर्त व उनसे जुड़ी मान्‍यताएं

Neemuch headlines May 14, 2021, 7:31 am Technology

भगवान परशुराम भार्गव वंश में भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं. इस दिन उनके भक्त विधि- विधान से भगवान परशुराम की पूजा व उपवास करते हैं. परशुराम भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त माने जाते हैं. आज देशभर में अक्षय तृतीया के साथ परशुराम जयंती भी मनाई जा रही है.

परशुराम जयंती शुभ मुहूर्त:-

वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि आरंभ- 14 मई 2021 (शुक्रवार) सुबह 05 बजकर 40 मिनट पर

वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि समाप्त- 15 मई 2021 (शनिवार) सुबह 08 बजे

पूजा-विधि:-

परशुराम जयंती के दिन सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए.

अगर नदी नहीं जा सकते पानी की बाल्टी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें.

इसके बाद धूप दीप जलाकर व्रत करने का संकल्प लें.

भगवान विष्णु को चंदन लगाकर विधि-विधान से उनकी पूजा करें.

फिर भगवान को भोग लगाएं.

आप चाहे तो परशुराम जी के मंदिर जाकर उनके दर्शन भी कर सकते हैं

लेकिन कोरोना काल में ऐसा करने से बचें और उन्हें मन में ही याद करें. इस दिन व्रत करने वाले लोगों को किसी तरह का कोई अनाज नहीं खाना चाहिए.

परशुराम से जुड़ी मान्‍यताएं शिव भक्त थे परशुराम:-

परशुराम भगवान शिव के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं. वे दिन-रात शिव की अराधना करते थे. शिव भगवान भी परशुराम से प्रसन्न रहते थे. कहा जाता है कि परशुराम ने धरती पर 21 बार क्षत्रियों का संहार किया था. मान्यता है कि आज ही के दिन से सतयुग की शुरुआत भी हुई थी.

गुस्से में गणेश भगवान को दिया था दंड:-

परशुराम को न्याय का देवता कहा जाता है. साथ ही ये उग्र प्रवृत्ति के माने जाते हैं. भगवान गणेश भी उनके क्रोध से वंचित न रह सके थे. ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, जब परशुराम भगवान शिव के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे, तो भगवान गणेश ने उन्हें शिव से मिलाने के लिए मना कर दिया था. इस बात से क्रोधित होकर उन्होंने अपने फरसे से गणपति का एक दांत तोड़ दिया था. इसके बाद से भगवान गणेश एकदंत कहलाने लगें.

हर युग में हैं मौजूद:-

आज भी ऋषि परशुराम को अमर माना जाता है. कहा जाता है कि परशुराम हर युग में मौजूद रहे हैं. वे त्रेतायुग से लेकर द्वापरयुग में भी थे. पुराणों के अनुसार, परशुराम ने न सिर्फ महाभारत का युद्ध, बल्कि भगवान श्रीराम का समय भी देखा था.

शिव ने दिया परशु अस्त्र:-

परशुराम की माता का नाम रेणुका और पिता का नाम जमदग्नि ॠषि था. ऐसा कहा जाता है कि परशुराम ने पिता के कहने पर अपनी मां का वध कर दिया था, जिस वजह से उन पर मातृ-हत्या का पाप लगा. इसके बाद परशुराम ने भगवान शिव की तपस्या की और मातृ-हत्या के पाप से मुक्ति पा ली. इसके साथ ही भगवान शिव ने उन्हें मृत्युलोक के कल्याणार्थ परशु अस्त्र प्रदान किया था. इस कारण उन्हें परशुराम कहा गया.

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