नवरात्रि में छठे दिन की देवी हैं मां कात्यायनी, जानिए इनकी पूजा विधि, मंत्र, कथा और आरती

Neemuch headlines April 18, 2021, 2:52 pm Technology

नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इनकी पूजा से व्यक्ति को अपनी सभी इंद्रियों को वश में करने की शक्ति प्राप्त होती है। इन्हें दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा गया है। मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं और इनकी सवारी सिंह है। जिन कन्याओं के विवाह में देरी आती है उनके लिए भी मां के इस स्वरूप की अराधना फलदायी मानी जाती है।

पूजा विधि:-

नवरात्रि के छठे दिन मां कत्यायनी को लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें। कात्यायनी देवी को रोली, हल्दी और सिन्दूर लगाएं। मंत्र का जाप करते हुए इन्हें फूल अर्पित करें। माता को शहद का भोग लगाएं। घी का दीपक जलाकर आरती उतारें और इनकी पावन कथा सुनें। अंत में प्रसाद सबको बांट दें।

स्तुति:-

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

कथा:-

पौराणिक कथाओं अनुसार एक प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती जगदम्बा को पुत्री के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। कठिन तपस्या के पश्चात् महर्षि कात्यायन के यहां देवी जगदम्बा ने पुत्री रूप में जन्म लिया और वे मां कात्यायनी कहलायीं। ये बहुत ही गुणवंती थीं। इनका प्रमुख गुण खोज करना था। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। कहा जाता है कि नवरात्रि के पांचवें दिन इनकी पूजा करने से साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित रहता है। योग साधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है।

आरती:-

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।

जय जगमाता, जग की महारानी।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।

वहां वरदाती नाम पुकारा।

कई नाम हैं, कई धाम हैं।

यह स्थान भी तो सुखधाम है।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।

कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।

हर जगह उत्सव होते रहते।

हर मंदिर में भक्त हैं कहते।

कात्यायनी रक्षक काया की।

ग्रंथि काटे मोह माया की।

झूठे मोह से छुड़ाने वाली।

अपना नाम जपाने वाली।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।

ध्यान कात्यायनी का धरियो।

हर संकट को दूर करेगी।

भंडारे भरपूर करेगी।

जो भी मां को भक्त पुकारे।

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।

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