नवरात्रि के पांचवें दिन होती है मां स्कंदमाता की पूजा, जानें विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व आरती और भोग

Neemuch headlines April 17, 2021, 7:41 am Technology

नवरात्रि का पांचवां दिन है। नवरात्रि के पांचवे दिन मां के पंचम स्वरूप माता स्कंदमाता की पूजा- अर्चना की जाती है।

आइए जानते हैं माता स्कंदमाता पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती और भोग...

स्कंदमाता पूजा विधि:-

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें। मां को रोली कुमकुम भी लगाएं। मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं। मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें। मां की आरती अवश्य करें।

इस मंत्र का जप करे:-

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।। नवरात्रि के

पांचवे दिन की पूजा का महत्व:-

मां स्कंदमाता की पूजा- अर्चना करने से ज्ञान में वृद्धि होती है। स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से भी छुटकारा मिल सकता है। आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। मां स्कंदमाता जीवन में आने वाले संकटों को भी दूर करती हैं।

स्कंदमाता का मंत्र:-

या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

स्कंदमाता कवच:-

ऐं बीजालिंका देवी पदयुग्मघरापरा। हृदयं पातु सा देवी कार्तिकेययुता॥ श्री हीं हुं देवी पर्वस्या पातु सर्वदा। सर्वांग में सदा पातु स्कन्धमाता पुत्रप्रदा॥ वाणंवपणमृते हुं फट् बीज समन्विता। उत्तरस्या तथाग्नेव वारुणे नैॠतेअवतु॥ इन्द्राणां भैरवी चैवासितांगी च संहारिणी। सर्वदा पातु माँ देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै॥

स्कंदमाता की आरती:-

जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता. सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी. तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं. कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा. कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा. हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति. अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो. इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे. दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई।

मुहूर्त:-

तिथि -पंचमी

नक्षत्र-मृगशिरा

योग-शोभन

करण-बव

लग्न -मेष

शुभ समय- प्रात: 7:35 से 9:11,

दोपहर 1:57 से शाम को 5:08 बजे तक

राहुकाल- प्रात: 9:00 से 10:30 तक

दिशा शूल-पूर्व

योगिनी वास-दक्षिण

गुरु तारा-उदित

शुक्र तारा-अस्त

चंद्र स्थिति-मिथुन

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