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सरहद पर भगवान राम व कृष्ण जन्मोत्सव की धूम, महंत श्री 108 नन्दकिशोर दास जी के मुखारबिंद से श्रीमद भागवत कथा में भगवान रामकथा का गुणगान

Neemuch Headlines January 22, 2021, 8:22 pm Technology

सिंगोली। ईश्वर हमेशा प्रकट होता है। साधारण मानव की तरह जन्म नही लेता है। जिस प्रकार लकड़ी में आग तथा दूध में घी पहले से ही रहता। उसे कहि से लाना नही पड़ता है। इसी तरह ईश्वर संसार के कण कण में व्याप्त है। भगवान को आंखों से देख नही सकते परन्तु वह ह्रदय से प्राथना करने पर प्रकट हो जाते है। यह उपदेश राजस्थान एवं मध्यप्रदेश की सीमा स्थित अनेड छतरियों पर महान महंत श्री 108 नन्दकिशोरदास जी महाराज साहब के मुखारबिंद से श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव के चौथे दिन श्रद्धालुओ को बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि ईश्वर को हमारे दुख सुख से लेना देना नही है। ईश्वर तो हमारे भीतर विधमान है। फिर भी हम दुखी होते रहते है, हमारे दुख दर्द को दूर तो प्रकट परमात्मा ही कर सकते है। ह्रदय में बैठा परमात्मा नही जिसके लिए आवश्यकता उसे प्रकट करने की। जिस घी से दीपक जलाया जाता है, परन्तु घी बनने की एक प्रक्रिया होती है। उसी तरह ईश्वर भी संसार मे सर्वत्र व्याप्त होने पर भी उसे प्रकट करने के लिये प्रयास करना पड़ता है। स्वर्ग में अमृत की कल्पना की गई है। अमृत पान करने वाला अमर हो जाता है। स्वर्ग में अमृतहो सकता है लेकिन कथा रूपी अमृत केवल धरती पर ही प्राप्त है। कथा अमृत को केवल वे ही पान कर सकते है। जिसे स्वयं भगवान राम बुलाते है। तनाव दूर करने तथा दुखो से निजात पाने में परमात्मा का नाम और कथा सर्वोत्तम उपाय है। श्रीमद भागवत कथा के दौरान महंत श्री दास ने राम जन्म से लेकर राम विवाह, वनवास, सीता हरण, लंका में राम रावण युद्ध पर विजय ओर पुनः अयोध्या लौटकर 11 हजार वर्ष राज करने के बाद बेकुण्ड धाम तक की कथा का रस पान कराया।

धर्म की रक्षा के बिना राष्ट का विकास नही हो सकता:-

धर्म की रक्षा करने के लिऐ स्वयं भगवान पृथ्वी पर अवतरित हुए इसिलिए मनुष्य को सबसे पहले अपने हिंदू सनातन धर्म की रक्षा करना चाहिए । धर्म की रक्षा बिना राष्ट का विकास सम्भव नही है । माता सती अनुसुइया का वर्णन करते हुए बोल रहे थे कि भारत सती का देश भी माना गया जहां कहि रानियों ने अपने पति धर्म की रक्षा के लिये अपने प्राणों की आहुति देकर धर्म की रक्षा की है।

जहां अभिमान होता है वहा भगवान कभी नही आते है:-

श्रीमद भागवत कथा के दौरान महंत श्रीदास ने बताया कि तन मन और धन संसार को दो मगर ह्रदय परमात्मा को देना चाहिये जहां प्रभु बसते है । वहा प्रेम का जन्म होता है । और जहां प्रेम होता है वहा समय का पता नही चलता है । जहां अभिमान होता है वहा भगवान नही आते है । यह मेवाड़ की पवित्र पावन धरा के चलते मीरा बाई की कठोर तपस्या वभक्ति के चलते खुद भगवान कृष्ण को आना पड़ा । कथा वाचक ने कहा कि संसार से प्राप्त चीजो को संसार मे ही लगा दे यही परमात्मा की भक्ति है। कथा के दौरान भक्त प्रह्लाद हिरण्यकश्यप वध, नरसिंह अवतार, राजा बलि की कथा, समुन्द्र मंथन, वामन अवतार, के साथ चौथे दिन शुक्रवार को सूर्यवंश एवं रामकथा के बाद श्रीकृष्ण जन्म का प्रसंग बड़े ही भक्ति भाव से वर्णन किया ।

नन्द के घर आंनद भय्यो हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैयालाल की से गुंजा पांडाल:-

जेल में कैद वासुदेव द्वारा पालने में भगवान श्री कृष्ण की झांकी का मंचन किया तो बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओ ने भगवान श्री पर पुष्प वर्षा की और नन्द के घर आंनद भय्यो हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैयालाल की जयकारों से पांडाल गुंजयमान कर दिया।

श्रीमद भागवत कथा के दौरान मुख्य रूप से समाजसेवी रामनारायण सेन झांतला, रोशन कुमार राठौड़ कदवासा, भवरलाल धाकड़ लाडपुरा , खेमराज धाकड़ अनेड, बद्रीलाल धाकड़ अनेड पूर्व सरपंच, देवीलाल धाकड़ , रमेश चन्द्र धाकड़ पूर्व सरपंच धारडी ,दिनेश कुमार पालीवाल, रामचन्द्र धाकड़ धारडी, सहित सेकड़ो श्रद्धालु ने कथा का लाभ लिया।

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