मिलावटी घी बेचने वाले को 06 माह का सश्रम कारावास एवं 2,000रू. जुर्माना

Neemuch Headlines December 24, 2020, 10:30 pm Technology

नीमच। एम. ए. देहलवी, न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी, नीमच द्वारा एक आरोपी को मिलावटी घी बेचने के आरोप का दोषी पाते हुए 06 माह के सश्रम कारावास और 2,000रू. के जुर्माने से दण्डित किया गया।

एडीपीओ विवेक सोमानी द्वारा घटना की जानकारी देेते हुए बताया कि खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग में पदस्थ खाद्य निरीक्षक धीरेन्द्र सिंह जादौन दिनांक 21.12.2009 को शाम के लगभग 5 बजे निरीक्षण हेतु फर्म-गुरलदास बेढोमल, पटेल की चाल, नीमच पहुचे जहाॅ पर फर्म में तेल, घी, शक्कर आदि सामग्री का विक्रय किया जा रहा था। खाद्य निरीक्षक द्वारा निरीक्षण के दौरान बेचने के लिए फर्म में रखे, जय श्री कृष्णा स्पेशल ग्रेड प्योर घी के 200 एम.एल. के 3 पैकेटे नमूना जाॅच हेतु 51 रूपये नकद भुगतान कर लिये तथा फर्म के मालिक का नाम पूछे जाने पर उसने अपना नाम आशोक मगवानी बताया जिसके पास दुकान का वर्ष 2009-2010 का वैध लाईसेंस भी नही था। खाद्य निरीक्षक द्वारा घी की जाॅच लोक विश्लेषक, राज्य खाद्य प्रयोगशाला, भोपाल से करायी, जिसमें घी मिलावटी होकर मानव स्वस्थ्य के लिए हानिकारक होना बताया। इसके पश्चात् आरोपी के विरूद्ध मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी, नीमच के न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया गया।

अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय में अपराध को प्रामाणित किये जाने हेतू संबंधित खाद्य निरीक्षक एवं अन्य आवश्यक गवाहों के बयान कराये गये तथा यह तर्क रखा गया कि लोक विश्लेषक, राज्य खाद्य प्रयोगशाला, भोपाल की रिपोर्ट से यह स्पष्ट हैं कि आरोपी द्वारा जो घी बेचा जा रहा था वह मिलावटी था तथा विक्रय दिनांक को आरोपी के पास लाईसेंस भी नही था। अभियोजन साक्ष्य एवं तर्को से सहमत होते हुए आरोपी को न्यायालय द्वारा मिलावटी घी विक्रय करने का दोषी ठहराया गया। दण्ड के प्रश्न पर अभियोजन की ओर से न्यायालय में तर्क किया गया कि आरोपी द्वारा मानव स्वास्थ के लिए हानिकारक मिलावटी घी विक्रय किया जा रहा था, अतः आरोपी को कठोर दण्ड से दण्डित किया जाना चाहिए। अभियोजन के तर्को से सहमत होकर एम. ए. देहलवी, न्यायिक दण्डिाधिकारी प्रथम श्रेणी, नीमच द्वारा आरोपी अशोक कुमार पिता गोरलदास मगवानी, उम्र-45 वर्ष, निवासी-सिंधी काॅलोनी, नीमच को धारा 7/16 एवं नियम 50 खाद्य अपमिश्रण अधिनियम, 1954 के अंतर्गत 06 माह के सश्रम कारावास एवं 2,000 रू. के जुर्माने से दण्डित किया गया। न्यायालय में शासन की ओर से विवेक सोमानी, एडीपीओ द्वारा पैरवी की गई।

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