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कृषि बिल के विरोध में सीटू व इंटक ने किया विरोध प्रदर्शन कृषि बिल की जलाई प्रतियाँ कृषि बिल को बताया काला कानून

Neemuch Headlines December 4, 2020, 9:56 pm Technology

नीमच। केन्द्र सरकार द्वारा लाए जा रहे नए कृषि बिल सहित अन्य विधेयको के विरोध में सिटू व इंटक नीमच के पदाधकारियो तथा कार्यकर्ताओं ने केन्द्र सरकार व राज्य सरकार के खिलाफ कृषि बिल विधेयक को लेकर विरोध प्रदर्शन किया 3 दिसंबर को दोपहर 1 बजे भारत माता चैराहे पर कृषि बिल तथा अन्य नई श्रम नीति को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया। तथा केन्द्र व म.प्र. की भाजपा सरकार के विरूद्ध जमकर नारेबाजी की गई। इंटक व सीटू के पदाधिकारियो ंव कार्यकर्ताओं ने कृषि बिल की प्रतियाँ फाड़कर जलाई गई। विरोध प्रदर्शन में सीटू, इंटक, सीपीआईएम, अखिल भारतीय किसान संघ, एएसटी, सहित कई श्रमिक संगठनों के कार्यकर्ता शामिल हुए।

विरोध प्रदर्शन के बाद पत्राकारों से चर्चा करते हुए सीटू म.प्र. के कार्यकारी अध्यक्ष शेलेन्द्र ठाकुर, बैंक एम्प्लाॅइस यूनियन जिला नीमच के अध्यक्ष किशोर जेवरिया एवं नीमच जिला इंटक के महामंत्राी भगत वर्मा ने पत्राकारों से कहा कि मोदी सरकार ने देश के किसानों खेत व खलिहान के खिलाफ एक घिनौना षड्यंत्रा किया है। तीन काले कानून के माध्यम से देश के अन्न दाता व भाग्य विधाता किसान तथा खेत मजदूर की मेहनत को चंद पूंजीपतियों के हाथों में गिरवी रखने का षड्यंत्रा रचा है। आज देश के करोड़ों किसान व मजदूर तथा कई किसान संगठन इस बिल के विरोध में आवाज उठा रहे है। श्रमिक नेताओं ने तीन काले कानून के बारे में बताया कि अनाज मंडी को खत्म करने पर उपज खरीदी व्यवस्था पूरी तरह से नष्ट हो जायेगी ऐसे में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल सकेगा।

कृषि कानून में यह बताया गया है कि किसान अपनी उपज देश के किसी भी भाग में ले जाकर बेच सकता है। यह एक सफेद झूठ है। इस नए कृषि बिल के तहत किसान अपनी फसल कहीं भी बाहर नहीं ले जा सकेगा और न बेच सकेगा मण्डी प्रणाली नष्ट हो जायेगी इस अध्यादेश के माध्यम से किसान को ठेका प्रथा में फसाकर उसे अपनी ही जमीन में मजदूर बना दिया जावेगा। तीनों कृषि अध्यादेश संघीय ढाँचे पर प्रहार है।

केन्द्र सरकार स्वामीनाथन की सिफारिशों की जगह शांताकुमार कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की ओर बढ़ रही है।

मोदी सरकार एमएसपी कानून नहीं लाना चाहती है। तीनो श्रमिक नेताओं ने बताया कि कृषि बिल को लेकर भाजपा सरकार किसानों व मजदूरों को गुलामी की ओर धकेल रही है। कृषि क्षेत्रा को चंद बड़े उ़द्योग घरानों को सौंपा जा रहा है म.प्र. की भाजपा सरकार भी वर्तमन में चल रही कृषि व्यवस्थाओं को भी समाप्त करना चाहता है। यह बिल किसानों की स्वतंत्राता पर कुठाराघात है। इस नये कानून से सारी खेती बड़े चंद उद्योगपतियों के हाथों में चली जायेगी। नया कृषि बिल किसानों के हित में नहीं है। श्रमिक नेताओं ने कहा कि इस काले कानून को समाप्त नहीं किया तो कई श्रमिक संगठन तथा किसान संगठन बड़े स्तर पर केन्द्र व राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे। विरोध प्रदर्शन में जनवादी लेखक मंच के अध्यक्ष प्रो. निरंजन गुप्ता, सीटू के सुनिल शर्मा, वसीम खान, कृपाल सिंह मंडलोई, विष्णु चैधरी, राजेश ग्वाला, मनीष कदम, नितेश यादव, मोह. असरफ तथा मो. शमशुद्दीन सहित कई श्रमिक संगठनों के कार्यकर्ता शामिल हुए ।

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