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प्रतिबंध के बावजूद लूट रहे किसानों को, मामला अवैध ट्यूबवेल खनन कर ट्यूबवेल माफियाओ के सक्रीय होने का

दुर्गाशंकर लाला भट्ट November 17, 2020, 7:58 am Technology

जिम्मेदार, जिलाधीश के आदेशो की सरेआम की उड़ा रहे धज्जियां, सेटिंग से चल रहा है अवैध खनन, प्रति बोरवेल खनन फिक्स है राशि

जीरन। जहां इलाके में पानी की कमी के कारण जल स्तर नीचे जा रहा है व सरकार व देश के मुखिया किसानों के लिए दिन-रात नहीं नहीं योजनाओं को बनाकर किसान हित में खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए कोशिश कर रहे हैं वह कुछ अधिकारी इन योजनाओं से विपरीत कार्य कर किसानों का आर्थिक मानसिक नुकसान कर अपना हिस्सा रहे हैं इसी कड़ी में नीमच जिले को जिलाधीश द्वारा कम वर्षा के कारण सूखाग्रस्त घोषित किया गया है वह ट्यूबवेल खनन अन्य जिससे पानी की कमी हो उन पर प्रतिबंध लगाया गया है प्रतिबंध के बावजूद अपने आप को जिलाधीश से ऊपर समझने लगे हैं कर रहे हैं जिलाधीश के आदेश की अवहेलना उड़ा रहे हैं आदेश की धज्जियां कुछ सेटिंग वाले अधिकारी जो प्रतिबंध व सूखाग्रस्त जिला घोषित होने के बावजूद भी इन ट्यूबवेल खनन माफियाओं से मिलकर किसानों को ठग रहे हैं वह प्रतिबंध के बावजूद उच्च अधिकारियों से दोस्ती कर ट्यूबवेल खनन में किसानों से मनमानी कीमत वसूल रहे हैं पर बेचारा किसान क्या करें हमेशा छलता ही जा रहा है आखिर जिले में प्रतिबंध जिलाधीश ने लगा दिया है तो फिर क्यों जीरन तहसील में हो रहे हैं अवैध खनन और अगर ट्यूबवेल खनन होना ही है तो क्यों लगाया गया प्रतिबंध किसानों को पड़ रही है दुगनी मार क्या कोई जनप्रतिनिधि किसान हित में आगे आएगा और इनके मनमाने दामों पर रोक लगाएगा या यूं ही किसान आर्थिक नुकसान उठाता ही रहेगा और कुछ लोग सेटिंग कर अवैध खनन करवाते रहेंगे कैसे होती है इन की सेटिंग जब से प्रतिबंध लगा है उससे पहले लगभग क्षेत्र को एरिया वाइज के हिसाब से ट्यूबवेल खनन प्रति फीट लगभग अस्सी रुपये से एक सो रुपये फिट में किया जा रहा था क्योंकि इसमें किसी भी अधिकारी या अन्य किसी को कोई हिस्सा नहीं देना पड़ता था लेकिन प्रतिबंध के बावजूद एक ट्यूबवेल खनन पर लगभग दस हजार प्रति बोर की सेटिंग शुल्क लगता है जो जवाबदार लोगों के बीच में पड़ता है ओर यह लोग बीस से पच्चीस हजार ज्यादा ले रहे है इसी का फायदा उठाकर यह खनन करने वाले एजेंट यह शुल्क किसानों के माथे डबल या तीन गुना मात्रा में उनके नाम चढ़ा देते हैं जिसके कारण अभी खनन का भाव बढ़ाकर एकसो तीस से लेकर एकसो चालीस प्रति फीट पहुंच गया है और इसकी दोहरी मार किसानों को झेलना पड़ रही सवाल यह उठता है कि आखिर प्रतिबंध जिला कलेक्टर द्वारा लगा दिया गया है तो क्यों नहीं उच्च अधिकारी जो इनकी नाक के नीचे रोज अवैध खनन हो रहा है उस पर ध्यान दे रहे हैं क्या यह अपने आप को जिलाधीश से ऊपर समझने लगे हैं या फिर किसानों का गला घोटने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। क्या किसानों की इस समस्या में कोई जनप्रतिनिधि सामने आएगा या किसान हमेशा की तरह बर्बढोत रहेगा।

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