मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में असली परीक्षा ज्योतिरादित्य सिंधिया की होनी है। पहली नजर में दिख रहा है कि भाजपा की सरकार की किस्मत इन चुनावों से जुड़ी है पर असलियत वह नहीं है। भाजपा की सरकार के सामने कोई संकट नहीं है। शिवराज सिंह चौहान को नौ सीटें भी मिल जाएंगे तो उनकी सरकार को पूर्ण बहुमत हो जाएगा। दूसरी ओर कांग्रेस को 29 सीटें जीतनी होंगी, जिसकी कोई संभावना नहीं दिख रही है। एक मोटे अनुमान के मुताबिक आधी से ज्यादा सीटों पर भाजपा मजबूत स्थिति में है। इसलिए सरकार की स्थिरता या बहुमत का मसला नहीं है। ज्योतिरादित्य सिंधिया को खुद को भाजपा की नजर में साबित करना है तो कांग्रेस को भी दिखाना है कि उनके बिना कांग्रेस की क्या स्थिति होती है। इन उपचुनावों में भाजपा उम्मीदवारों खास कर उन 22 उम्मीदवारों के प्रदर्शन पर सबकी नजर है, जो सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए हैं और इस बार भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। अगर इनमें से ज्यादा पूर्व विधायक फिर से चुनाव जीतते हैं तो सिंधिया का कद बढ़ेगा। भविष्य में अगर सिंधिया को कांग्रेस में वापसी करनी है तब भी इन सीटों का प्रदर्शन बहुत मायने वाला होगा। अगर ने अपने लोगों को जीता लेते हैं तभी कांग्रेस आलाकमान को भी अहसास होगा कि सिंधिया की असली ताकत क्या है। इन्हीं सीटों के नतीजों से ही भाजपा के अंदर सिंधिया की पूछ घटेगी या बढ़ेगी। तभी उन्होंने जी-जान लगाया हुआ है। हालांकि भाजपा के नेता उनको कोई खास भाव नहीं दे रहे हैं। होर्डिंग्स, पोस्टर लगाने में जगह को लेकर भी सिंधिया को खास तरजीह नहीं मिल रही है और स्टार प्रचारकों की सूची में तो उनको दसवें स्थान पर रखा ही गया था।