नीमच। नीमच जिला हमेशा से ही अफीम और डोडाचूरा तस्करी के लिए कुख्यात रहा है । नीमच जिले में प्रत्येक वर्ष सैकड़ो एनडीपीएस के प्रकरण पुलिस एवं नारकोटिक्स विंग द्वारा बनाये जाते रहे है । इन प्रकरणों में हमेशा से ही पुलिस पर यह आरोप लगता रहा है कि पुलिस इन मामलों में तोड़बट्टा कर केवल कैरियर को ही पकड़ती है और असल तस्कर को कहीं न कहीं छूट दे देती है ।
जिसका नतीजा यह होता है कि सैकड़ो प्रकरण बनने के बाद भी नीमच जिले से होने वाली डोडाचूरा और अफीम की तस्करी रुख नहीं रही है । पुलिस एवं नारकोटिक्स विंग द्वारा जो एनडीपीएस के प्रकरण बनाये जाते हैं उन प्रकरणों में अभियोजन द्वारा अधिकतर मामलों में आरोपियों का मोबाइल फोन जब्त नहीं किया जाता है और वह मोबाइल फोन उनके द्वारा आरोपियों के रिश्तेदारों को सौंप दिया जाता है या पुलिस अपने पास ही रख लेती है । जिसका बड़ा कारण यह है कि जो कार्यवाही एनडीपीएस के प्रकरणों में की जाती है उसमें अधिकतर मामलों में माल कहीं और से पकड़ा जाता है और प्रकरण कहीं और बनाया जाता है । ऐसे में यदि कार्यवाही के दौरान तस्कर या आरोपी का मोबाइल फोन जब्त किया जाए तो उसकी काल डिटेल और मोबाइल टावर लोकेशन से कई राज खुल सकते है सम्भवतः इस कारण ही कार्यवाही के दौरान अधिकतर मामलों में आरोपियों के मोबाइल जब्त नहीं किये जाते हैं और न हीं काल डिटेल की जाँच की जाती है ।
इस सम्बंध में राष्ट्रीय भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति के विधि विभाग के प्रदेश सचिव एडवोकेट अमित शर्मा ने डीजी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो नई दिल्ली एवं डीजीपी मध्य प्रदेश पुलिस को पत्र लिख यह मांग की है कि एनडीपीएस के प्रकरणों में केस डायरी के साथ न्यायालय में आरोपियों की कॉल डिटेल एवं टावर लोकेशन डिटेल आवश्यक रूप से संलग्न करने का आदेश प्रदान किया जाए एवं केस डायरी में आरोपियों के मोबाइल फोन भी जप्त किए जाएं जिससे प्रकरण की पारदर्शिता एवं उपयोगिता बनी रहेगी और निर्दोष व्यक्ति को प्रकरण में न्याय मिले एवं आरोपियों को उचित सजा दी जा सके ।