भोपाल। मध्यप्रदेश में 3 अक्टूबर से भावांतर योजना के लिए पंजीयन प्रारंभ होगा। सीएम डॉ. मोहन यादव ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार के लिए किसानों का हित सर्वोपरि है और सोयाबीन किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए वे प्रतिबद्ध हैं। इसी उद्देश्य से भावांतर योजना के तहत सोयाबीन उत्पादक किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार भाव के बीच का अंतर सरकार द्वारा दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश में सोयाबीन उत्पादक किसानों के हित में प्रारंभ की जा रही भावांतर योजना को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। इसके लिए जिला स्तर पर प्रशासनिक अमले को दायित्व सौंपे जाएंगे। साथ ही योजना की विशेषताओं और प्रक्रिया का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश भी दिए हैं ताकि अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सकें। अब तीन अक्टूबर से शुरु होंगे भावांतर योजना के पंजीयन सोयाबीन किसानों के लिए लागू की जाने वाली भावांतर योजना के लिए पंजीयन की तारीख बदलकर 3 अक्टूबर कर दी गई है। इससे पहले दस अक्टूबर से पंजीयन प्रारंभ होने वाले थे लेकिन फसल की स्थिति देखते हुए इसे पहले कर दिया गया है। सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिया है कि किसानों को किसी भी स्थिति में नुकसान नहीं होना चाहिए। किसानों को सोयाबीन बेचने के लिए न तो लाइनों में लगना पड़ेगा न ही धक्के खाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि किसानों की बेहतरी के लिए सरकार प्रतिबद्ध है और हम हर हालत मे उनके साथ खड़े हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा ‘सरकार किसानों के साथ है’ इस वर्ष मंडियों में सोयाबीन का विक्रय मूल्य 5328 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि बाजार में किसानों को इससे कम मूल्य मिलता है, तो सरकार भावांतर योजना के तहत उस अंतर की राशि किसानों के खातों में जमा करेगी। उन्होंने कहा कि किसानों को किसी भी स्थिति में नुकसान नहीं होने देंगे। बता दें कि प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान के अंतर्गत अधिसूचित तिलहनी फसलों के लिए भावांतर भुगतान योजना को साल 2018-19 से लागू किया था। इस योजना के तहत सोयाबीन जैसी तिलहनी फसलों के उत्पादक किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का पूरा लाभ सुनिश्चित किया जाता है। किसान अपनी उपज को पूर्व की तरह मंडियों में बेचेंगे। यदि मंडी का मॉडल भाव या विक्रय मूल्य एमएसपी (5,328 रुपये प्रति क्विंटल) से कम होता है, तो पंजीयन कराने वाले किसानों को अंतर की राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे बैंक खातों में जमा की जाएगी।