तेजा दशमी आज, वीर तेजाजी ने वचन निभाने के लिए दे दिए प्राण, सीएम डॉ. मोहन यादव ने दी लोकपर्व की शुभकामनाएं

Neemuch headlines September 2, 2025, 2:49 pm Technology

भोपाल ।आज तेजा दशमी है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को देश के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से मध्यप्रदेश और राजस्थान में तेजा दशमी का पर्व उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह पर्व लोकदेवता वीर तेजाजी महाराज के निर्वाण दिवस के रूप में जाना जाता है, जिन्हें गायों के रक्षक और वचनबद्धता के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। सीएम मोहन यादव ने तेजा दशमी की शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा है कि ‘लोक आस्था के महापर्व तेजा दशमी की सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। लोक देवता वीर तेजाजी की कृपा से सभी का जीवन सुख, शांति और समृद्धि से परिपूर्ण हो, मेरी यही प्रार्थना है।’ तेजा दशमी से जुड़ी पौराणिक कथा पौराणिक कथा के अनुसार, वीर तेजाजी का जन्म नागौर जिले के खरनाल गांव में हुआ था। तेजाजी को बचपन से ही न्यायप्रिय और सत्यवादी माना जाता है। एक बार वे अपनी बहन को लेने उसकी ससुराल गए थे। वहां उन्होंने देखा कि कुछ डाकू बहन की गायों को लेकर जा रहे थे। तेजाजी ने गायों की रक्षा के लिए डाकुओं से जमकर युद्ध किया। इस युद्ध में वे बुरी तरह घायल हो गए, लेकिन गायों को सुरक्षित बचा लिया। युद्ध के बाद, जब तेजाजी घायल अवस्था में विश्राम कर रहे थे, तब एक नाग उनके पास आया। यह सर्प एक देवता के रूप में प्रकट हुआ और उसने तेजाजी से कहा कि वह उनको डसना चाहता है। तेजाजी.. जो अपनी वचनबद्धता के लिए प्रसिद्ध थे, उन्होंने सांप से कहा कि वह पहले अपनी बहन की गायों को उनके ससुराल सुरक्षित पहुंचा देंगे, फिर वह सर्प को डसने की अनुमति देंगे। राहुल गांधी के ‘हाइड्रोजन बम’ बयान पर सियासी घमासान: बीजेपी ने गैर-जिम्मेदाराना कहा, पवन खेड़ा ने कहा ‘गोडसे के उपासकों को गांधीवादी भाषा नहीं समझती’ फिर तेजाजी ने अपने वचन के अनुसार गायों को अपनी बहन के घर सुरक्षित पहुंचाया। इसके बाद, उन्होंने नागदेवता को अपने वचन का पालन करने के लिए बुलाया। तब सांप ने तेजाजी की जीभ पर डस लिया, क्योंकि तेजाजी ने कहा था कि वे उनके शरीर के किसी भी हिस्से को डसने के लिए स्वतंत्र हैं। इस तरह तेजाजी महाराज ने अपना वचन निभाने के लिए प्राणों का बलिदान दे दिया। श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है पर्व इस मान्यता के कारण, तेजा दशमी पर सर्पदंश से पीड़ित लोग तेजाजी के मंदिरों में धागा खोलने और उनकी पूजा करने आते हैं। यह पर्व विशेष रूप से जाट समुदाय के बीच लोकप्रिय है, लेकिन सभी जातियों के लोग इसमें शामिल होते हैं। तेजा दशमी के दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और व्रत रखते हैं। मंदिरों में तेजाजी की मूर्ति या थान पर दूध, चूरमा, और खीर का भोग लगाया जाता है। कई स्थानों पर रात्रि जागरण का आयोजन होता है, जिसमें भक्त तेजाजी के लोकगीत गाते हैं।

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