जम्मू-कश्मीर की चिनाब नदी पर भारत अपना सबसे बड़ा 1856 मेगावाट का सावलकोट जलविद्युत प्रोजेक्ट बनाने जा रहा है। हाल ही में भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित किया, जिसके बाद इस प्रोजेक्ट को बिना पाकिस्तान की अनुमति के शुरू करने का फैसला लिया गया। नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन (NHPC) ने इस प्रोजेक्ट के लिए अंतरराष्ट्रीय बोली प्रक्रिया शुरू कर दी है और बोली जमा करने की अंतिम तारीख 10 सितंबर है।
यह प्रोजेक्ट NHPC और जम्मू-कश्मीर पावर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन का संयुक्त उपक्रम है। पाकिस्तान पर वॉटर स्ट्राइक की तैयारी, चिनाब नदी पर सावलकोट प्रोजेक्ट को भारत ने दिखाई हरी झंडी इस प्रोजेक्ट की योजना 1980 के दशक में बनी थी, लेकिन पिछले 40 सालों से यह विभिन्न कारणों से रुका हुआ था। पाकिस्तान ने चिनाब नदी के प्रवाह पर असर का हवाला देकर इसका विरोध किया था। अब दो चरणों में बनने वाला यह प्रोजेक्ट 22,704 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होगा। अप्रैल 2022 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को तब तक निलंबित करने का ऐलान किया था, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को पूरी तरह छोड़ नहीं देता। ‘ऑपरेशन सफल मगर मरीज की मौत’. बीआरएस विधायकों के दलबदल मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा ब्यास, सतलुज और रावी नदियों पर अधिकार 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई सिंधु जल संधि के तहत भारत को ब्यास, सतलुज और रावी नदियों पर पूर्ण अधिकार हैं, ।
जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का अधिकार है। भारत इन नदियों पर सीमित सिंचाई के अलावा रन-ऑफ-द-रिवर प्रोजेक्ट बना सकता है, लेकिन इसके लिए संधि के तहत डिजाइन और ऊंचाई की मंजूरी जरूरी थी। इस प्रोजेक्ट से करीब एक दर्जन गांव प्रभावित होंगे, और सैकड़ों परिवारों का पुनर्वास किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर के साथ एक समझौता NHPC ने 2021 में इस प्रोजेक्ट में बहुमत हिस्सेदारी लेते हुए जम्मू-कश्मीर के साथ एक समझौता किया था। यह प्रोजेक्ट BOOT मॉडल (बनाओ, स्वामित्व, संचालन और हस्तांतरण) पर बनेगा, जिसके तहत 40 साल बाद यह पूरी तरह जम्मू-कश्मीर को सौंप दिया जाएगा। हाल ही में पर्यावरण मंत्रालय ने प्रोजेक्ट के लिए 3000 एकड़ वन और जंगल झाड़ी जमीन के हस्तांतरण को मंजूरी दी, जिससे अंतरराष्ट्रीय बोली और निर्माण की राह आसान हो गई है।