उज्जैन।हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है. हिंदू परंपरा में नागों को भगवान शिव का आभूषण भी माना गया है. वैसे देश में अनेकों मंदिर हैं, जो अपनी अलग-अलग मान्यताओं के लिए न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी विख्यात हैं. उन्हीं में से एक उज्जैन जिले का नागचंद्रेश्वर मंदिर है, जो कि साल में मात्र एक बार श्रावण शुक्ल पंचमी यानि कि नागपंचमी के दिन खुलता है. वह भी सिर्फ 24 घंटे के लिए. खास बात ये भी है कि ये मंदिर उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है. हिंदू धर्म में नागों की पूजा की जाती है.
हिंदू परंपरा में नागों को भगवान शिव का आभूषण माना जाता है. श्री महाकाल मंदिर के गर्भगृह के ऊपर ओंकरेश्वर मंदिर और उसके भी शीर्ष पर श्री नागचन्द्रेश्वर का मंदिर मौजूद है. जहा दर्शन मात्र से दोष से मुक्ति मिलती है. कब होंगे नागचंद्रेश्वर के दर्शन:- महाकाल मंदिर में महंत विनीत गिरि ने Local 18 को बताया कि इस बार नाग पंचमी के अवसर पर नागचंद्रेश्वर के पट 29 जुलाई की रात 12 बजे खोले जाएंगे, जो 30 जुलाई की रात 12 बजे तक खुले रहेंगे. ऐसे में भक्त 24 घंटों तक भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर सकेंगे. माना जाता है कि जो भक्त इस मंदिर के दर्शन करता है, उसे कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है. यही कारण है कि मंदिर के खुलने पर भक्तों की भारी भीड़ यहां उमड़ती है.
रोचक है मंदिर का इतिहास:-
माना जाता है कि मालवा साम्राज्य के परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के करीब इस मंदिर का निर्माण करवाया था. इसके बाद सिंधिया परिवार के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था. श्री नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा को नेपाल से यहां लाकर स्थापित किया गया था. इस मूर्ति में भगवान शिव अपने दोनों पुत्रों गणेशजी और स्वामी कार्तिकेय समेत विराजमान हैं. मूर्ति में ऊपर की ओर सूर्य और चन्द्रमा भी है.