चीताखेड़ा। अषाढ़ में लगी सावन की झड़ी, खेतों में भरा पानी, किसान कैसे करें बोवनी। विगत10 दिनों से अषाढ माह के प्रथम सप्ताह के दूसरे ही दिन से कभी झमाझम तो कभी रिमझिम वर्षा के चलते किसान असमंजस की स्थिति में है ।
अधिकांश किसानों ने व्यापक रूप से खरीफ की मुख्य फसल सोयाबीन की बोवनी कर दी है । वहीं लगातार बारिश के चलते कुछ किसान बोवनी नहीं कर पा रहे हैं। खेतों में बोवनी लायक अनुकूल स्थिति बने तो बोवनी करें। अषाढ़ माह के दूसरे ही दिन 13 जून से इस सत्र की प्री मानसून की बारिश शुरू हो गई थी कभी झमाझम तो कभी रिमझिम निरंतर रुक-रुक कर चल रही है। बादलों ने आसमान में डेरा जमाया हुआ है 10 दिनों में सिर्फ एक ही दिन कुछ पल के लिए सूर्य देव ने दर्शन दिए और फिर बादलों ने अपने आगोश में ले लिया था। वातावरण में ठंडक घुलने से कुलर पंखों ने राहत की सांस ली है तो वहीं आमजन को भी गर्मी और उमस से निजात मिल गई। अंचल में विगत 10 दिनों से वर्षा का दौर चल रहा है शनिवार सुबह से रात तक रुक-रुक कर रिमझिम तो कभी झमाझम वर्षा होती रही है। इससे सड़कों पर पानी की रेलमपेल मच गई । दोपहर 3 बजे कुछ समय के लिए मौसम खुला , लेकिन इसके बाद फिर से झमाझम बारिश का दौर शुरू हो गया।
नायनखेडी के किसान जगदीश चंद्र पाटीदार का कहना है कि 80 बीघा जमीन है पर लगातार बारिश के कारण बोवनी करने के लिए खेतों में बोवनी लायक अनुकूलता स्थिति नहीं है इसलिए बोवनी नहीं कर पा रहा हूं। चीताखेड़ा के किसान रामनारायण परमार का कहना है कि खेत में अनुकूलता को देखते हुए 25 बीघा खेत में सोयाबीन और मुंगफली के बीज की बुआई कर दी है और अब बारिश हो जाने के कारण 40 बीघा खेत में बुआई करनी है। किसान रतनलाल माली का कहना है कि तीन बीघा खेत में सोयाबीन के बीज की बुआई कर दी है और अचानक बारिश हो गई, बीज सड़ने की संभावना है अंकुरित होना मुश्किल है दुबारा बोवनी करनी पड़ेगी।