-जिले के विभागों में सुधार के लिए कर्मचारियों की तबादला सर्जरी जरुरी
जीरन। जिले में शासकीय विभागों में व्यवस्था सुधार हेतु स्थानीय स्तर पर जिले में वर्षों से एक ही जगह जमे कर्मचारियों के तबादले करने की सख्त आवश्यकता थी किन्तु शासकीय विभागों में तबादलों की समय सीमा 17 जून को समाप्त हो गई है,लेकिन प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी जिले के कई विभागों में वर्षों से जमे कर्मचारियों की नहीं हटाया गया। कर्मचारियों को लम्बे समय से एक ही जगह जमा रहने से वें निरंकुश हो जाते है जिससे वे जनता के काम नहीं करते। आम नागरिकों द्वारा किसी भी कर्मचारी की शिकायत होने पर कर्मचारी सीधे सत्ता में रहने वाले नेताओं के पास चले जाते हैं और वह उन्हें अभयदान दिलवा देते है जिससे कर्मचारियों को प्रशासनिक डर समाप्त हो जाता है उसके फल स्वरुप आम जनता के काम आसानी से नहीं होते।
यह आरोप कांग्रेस के प्रदेश सचिव व जिला पंचायत सदस्य तरूण बाहेती ने कहा की लंबे समय बाद शासन ने तबादलों से प्रतिबंध हटाया था, जिसके बाद माना जा रहा था कि जिले में सरकारी विभागों में सालों से एक जगह डेरा डाले पड़े कर्मचारियों का स्थानांतरण हो जाएगा और संबंधित कर्मचारियों से परेशान लोगों को राहत मिलेगी, लेकिन तबादलों के सीजन का अंतिम दिन 17 जून निकल जाने के बाद लोगों की उम्मीद पर पानी फिर गया है। शासन स्तर पर कुछ अधिकारी-कर्मचारियों के जरूर तबादले हुए, लेकिन स्थानीय स्तर पर कई विभागो में कोई सर्जरी नहीं की गई है। बाहेती ने कहा की कलेक्टोरेट, तहसील कार्यालय, शिक्षा विभाग स्वास्थ्य विभाग व राजस्व से जुड़े विभागों की प्रशासनिक स्तर पर सर्जरी करना आवश्यक थी लेकिन नेताओं के संरक्षण व अनदेखी के चलते प्रशासनिक सर्जरी नहीं हो पाई। कांग्रेस नेता श्री बाहेती ने कहा जिले में एक जगह जमे रहने से स्थानीय कर्मचारी लापरवाह हो जाते है जिसका सीधा उदाहरण सीएम हेल्पलाइन है। जिले के विभागों में आवेदन के बाद भी समस्या समाधान नहीं होने पर आमजन सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराते हैं। सीएम हेल्पलाइन पर किसी काम की शिकायत होने के बाद बड़े अधिकारियों पर भोपाल से दबाव बनता है तब बड़े अधिकारी अपने कर्मचारियों को भाग दौड़ कर कर उसका काम करते हैं। सवाल यह है कि जब कर्मचारियों को सीएम हेल्पलाइन की शिकायत के बाद भी पीड़ित का काम करना पड़ता है तो ये काम तो पहले भी हो सकता था। शिकायत करने वाले पहले स्थानीय स्तर पर शिकायत करते हैं लेकिन काम नहीं होने से परेशान होने के बाद ही सीएम हेल्पलाइन पर जाते हैं। बाहेती ने कहा कि सीएम हेल्पलाइन शिकायत के होने के बाद यह भी जांचना चाहियें की पहले काम नहीं करने को लेकर जिस कर्मचारी की गलती साबित होती है उसका तो तत्काल स्तर पर ही जिले में ही अन्य जगह तबादला कर दिया जाना चाहिए जिससे सबक लेकर दूसरे कर्मचारी जनता के कामों में लापरवाही ना बरतें।
जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों ने तबादला नीति पर नहीं दिखाई गंभीरता :-
जिला पंचायत सदस्य श्री बाहेती कहा कि नियम कहता है कि किसी अधिकारी-कर्मचारी को एक जगह पदस्थ रहते हुए 3 साल हो गए है, तो तबादला होना चाहिए। ताकि कोई भी अधिकारी-कर्मचारी किसी एक स्थान को अपनी जागीर नहीं समझे, लेकिन नीमच जिले में इसके विपरित स्थिति देखने को मिली। यहां तबादलों के सीजन में न तो प्रभारी मंत्री ने गंभीरता दिखाई और न ही जिम्मेदार जनप्रतिनिधि विधायक और सांसद ने मामले में गंभीरता दिखाई, जबकि तबादलों के सीजन में अगर नीमच जिले में भी स्थानीय स्तर पर बड़े विभागों में सर्जरी की जाती,तो अधिकारी-कर्मचारियों का एक स्थान पर जमे रहने से मोह खत्म हो जाता और जनता को भी सुविधा मिलती।
स्वास्थ्य विभाग में बड़ी सर्जरी की सर्वाधिक जरुरत :-
श्री बाहेती ने कहा कि जिले में सर्वाधिक आवश्यकता स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी वार्ड बॉय व अन्य स्टॉफ को जिले में स्थानांतरित करने की है। स्वास्थ्य विभाग में सालों से जमे कर्मचारियों ने जिला चिकित्सालय में एक सिंडिकेट टाइप का मामला बना लिया है जिसमें भारी कमीशन का खेल होता है। सालों से जमे रहने से कुछ कर्मचारीयों का बाहरी लोगों व्यवसायिक संपर्क हो जाता है जिसके तहत यें कर्मचारी जिला अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों को बरग़ला कर चुनिंदा प्राइवेट अस्पताल में रेफर करना,रेफर करने वाले मरीजों के लिए एम्बुलेंस तक वार्ड बाय अपने संपर्क से बुलाता है एवं कुछ मामलों में तो ऐसी सूचना भी रहती है की उदयपुर रेफर करने के दौरान अस्पतालों तक का संपर्क स्थानीय कर्मचारी से रहता है। ऐसे में यह सब सिंडिकेट को तोड़ने के लिए जिले के अन्य स्वास्थ्य केन्द्रो में पदस्थ कर्मचारियों को नीमच जिला चिकित्सालय में पदस्थ करना चाहिए और यहां के स्टाफ को जिले के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्र में भेजना चाहिए जिससे मरीजों को अनावश्यक दबाव का सामना नहीं करना पड़े।लेकिन विडंबना यह है कि तबादलों के सीजन में भी स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य विभाग में प्रशासनिक सर्जरी नहीं होने से सालों से बने कर्मचारी एक ही पद पर जम रहे गए।
जिले के जनप्रतिनिधि असरहीन,प्रभारियों के भरोसे अधिकांश विभाग,
नहीं मिल पाए अधिकारी :-
बाहेती ने कहा कि नीमच जिले में जनप्रतिनिधि असरहीन हो गए है। नीमच में इनके ध्यान नहीं देने से जिले में विभागों में कर्मचारी तों निरंकुश हो ही गये है वहीं दूसरी और जिले में अधिकांश विभाग प्रभारियों के भरोसे चल रहे हैं,लेकिन हालात यह है कि तबादलों के सीजन में भी संबंधित विभागों को मूल अधिकारी नहीं मिल पाए हैं। जिले में प्रमुख तौर पर कृषि विभाग,सामाजिक न्याय विभाग, शिक्षा विभाग,स्वास्थ्य विभाग, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग,रोजगार कार्यालय, पीओ डूडा सहित कई ऐसे विभाग है जिसमें प्रभारियों के कंधो पर विभाग की कमान है, लेकिन विडंबना यह है कि नीमच जिले के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि जिले के अधिकांश विभागों में रिक्त पड़े जिला अधिकारियों के पदों की पूर्ति तबादलों के सीजन में भी नहीं करवा पाए हैं, इससे यह तो स्पष्ट है कि नीमच जिले के जनप्रतिनिधियों को अपनी ही सरकार में तव्वजों नहीं मिल रही है और वे सीएम और मंत्रियों को मांग पत्र थमाने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे हैं।