नीमच । शहर के प्रमुख स्कीम नंबर 1 सेंट्रल बैंक के समीप रहवासी क्षेत्र में जिनेंद्र डोसी के मकान के पास शनिवार सुबह 9 बजे के लगभग एक लगभग 8 फीट लंबा अजगर की तरह दिखाई देने वाला सांप को ग्रहणी महिला श्रीमती सुनीता डोसी ने देखा और परिवार जनों को सूचित किया। तभी घटनास्थल पर योग प्रशिक्षक प्राकृतिक चिकित्सक संदीप वर्मा पहुंचे और उन्होंने सर्प पकडने के विशेषज्ञ सेवाभावी जन सेवक रजाक चाचा को फोन पर सूचना प्रेषित की और बाद में डोसी परिवार जनों द्वारा उन्हें बघाना से दो पहिया वाहन द्वारा घटनास्थल पर लाया गया। कक्षा छठी तक अध्यनरत रजाक चाचा (मो. 9179299040) द्वारा सांप को वाइपर की सहायता से पकड़कर खाद के कट्टे में बंद कर रस्सी बांधी गई और क्षेत्र वासियों को सुरक्षा प्रदान करने में सहयोग प्रदान किया। इनका कहना है - सांप के आंखें होती है पलक नहीं होती है। सांप की आंखें 24 घंटे खुली ही रहती है। सांप के कान नहीं होते वह बहरा होता है। कंपन गति से वह दूसरे प्राणियों जीव जंतुओं और इंसानों को पहचानता है। सांप वर्षा ऋतु में चूहे और मेंढक खाने के लिए नगर की तरफ आता है। किसी भी सर्प को पकड़ने से पहले उसकी प्रजाति को समझना आवश्यक होता है मैंने अपने जीवन काल में हजारों सर्प पड़कर जंगल में छोड़े हैं लेकिन कभी भी सर्प को मारने की कभी नहीं सोचा है। सांप को पकड़ने से पूर्व शंकर भगवान और अन्य आयत पढ़कर अपने गुरु का ध्यान लगाया जाता है। 10 वर्ष की आयु में राजस्थान के दोसा नगर में मुर्शीद नगर निवासी बब्बू मियां से गुरु दीक्षा प्राप्त की थी तभी से निरंतर 60 वर्षों तक अनेक सांप को पड़कर जंगल में छोड़ने का सेवा कार्य किया है। सांप पकड़ने से जो भी उपहार राशि मिलती है उसे राशि से दान पुण्य में सहयोग किया जाता है पूर्व में भी मनोहर कच्छावा के साथ मिलकर लावारिस लाश के अंतिम संस्कार में भी इस राशि का योगदान प्रदान किया जाता था। सांप के काटने के इलाज के लिए दवा निःशुल्क प्रदान की जाती है। गुरु दीक्षा के बाद मैंने जीवन पर्यंत शाकाहार का पालन किया है कभी भी मांसाहार का उपयोग नहीं किया है।