मृत्यु के समय धर्म ही मित्र होता है - शंकराचार्य श्री ज्ञानानंद जी महाराज

विनय मालपानी June 7, 2025, 8:32 pm Technology

मनासा। श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव के चौथे दिन भानपुरा पीठाधीश्वर शंकराचार्य श्री ज्ञानानंद जी महाराज में मोहिनी अवतार के बारे विस्तार से बताते हुए कहा कि समुद्र मंथन में 14 रत्न प्राप्त हुए सारगर्भित बातों पर बोलते हुए कहा कि मृत्यु के समय धर्म ही मित्र होता है। गुरु कृपा कॉलोनी में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के कार्यक्रम मे गुरुजी ने प्रवचन में बताया कि विष उगलना नहीं, पीना सीखो समाज का सदैव सहयोग करना चाहिए। देव संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए गौ पालन कीजिए और गौ दान की भी परंपरा हैं। बड़े भाई की जिम्मेदारी होती हैं कि पहले हिस्सा छोटे भाई को देना चाहिए। स्वयं नहीं लेना चाहिए। अपने कार्य में सहायक करने वाले को सदैव भेंट करना चाहिए। अप्सराएं किसी व्यक्ति विशेष की नहीं जिनके पास संपति होगी, उसी के साथ होंगी। आपने आगे बताया कि रोग निदान के लिए, औषधि को सदैव वितरण करना चाहिए कार्यक्रम में विधायक माधव मारु, कैलाश राठौर, ओम रावत, बृजमोहन समदानी, सुनील यजुर्वेदी, विवेक पटवा, अर्जुन पंजाबी, श्यामलाल माहेश्वरी, सत्यनारायण मंडवारिया, जीतू फरक्या, आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।

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