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जयमाला दीदी की कथा सुनने के लिए उमड़ा जनसेलाब, सवाल यह है कि आज का युवा कैसा हो

गोपाल बैरागी May 30, 2025, 6:42 am Technology

कुकड़ेश्वर। अरावली पर्वत पर मां शेरावाली के दरबार में श्रीमद् भागवत कथा का रसपान के वक्त भागवत प्रवक्ता जयमाला वैष्णव दीदी ने पंचम दिवस की कथा में बताया मुझे लगता है कि जिसके आचार एवं व्यवहार में आध्यात्मिकता हो। कर्म में उद्यमशीलता हो तथा कार्यान्वयन ( Execution ) पूरी तरह से आधुनिक एवं वैज्ञानिक आधार पर टिका हो। हम अक्सर पूर्ण व्यक्तित्व की बात कहते और सुनते हैं। सच्चाई यह है कि आजतक पूर्ण व्यक्तित्व को सिर्फ एक ही शख्स ने धारण किया और वो हैं हमारे जीनियसों के जीनियस योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण। इन दोनों चीजों को चर्चा में जानने का लक्ष्य ही भगवद्गीता समूह का प्रयास आज के परिप्रेक्ष्य में है। आज के समय में पूर्ण व्यक्तित्व से हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि वह व्यक्तित्व जो जीवन के हर पक्ष, हर काल में अपना कर्म, अपना विचार एवं इन सबका प्रबंधन करते बिल्कुल बिना चूक तथा बिना किसी गतिरोध के सफलतापूर्वक एवं दृढ़ता पूर्वक संपादित करे। इसीलिए भगवान श्रीकृष्ण इस ब्रह्मांड के Best Manager & best General रहे हैं। चाहे शांतिकाल हो अथवा युद्धकाल। उनकी नीति एवं नीतिगत कदम अभूतपूर्व तथा अविश्वसनीय हैं। लक्ष्य को आध्यात्म और कूटनीति से कैसे हासिल किया जाता है। उसे श्रीकृष्ण ने ही एक योग के रुप में प्रतिपादित किया जिसे कर्मयोग कहा गया। कोई आश्चर्य नहीं कि दुनिया उस कर्मयोग के अनुपम संकलन श्रीमद्भगवद्गीता को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन पुस्तक मानती है। और शायद वो सब कुछ जो हम अपने जीवन के हर क्षेत्र में कल्पना कर सकते हैं। उस कल्पनाशीलता का जवाब है श्रीमद्भगवद्गीता में और सब कुछ एक तश्तरी में जो परोस कर दे सके। उस प्रबंधन को संकलित करने वाला ही होता है एक पूर्ण व्यक्तित्व। इसलिए आज अपने जीवन के रणक्षेत्र में जूझते हुए हर भारतीय युवा के जीवनशैली और बेडरूम में श्रीमद्भगवद्गीता अतिआवश्यक है। हमारी अधिकतर समस्या आज के दौर में मानसिक तथा नैतिक है। Success & Stability के भंवरजाल में जुझता भारतीय युवा कई बार मानसिक अवसाद, तनाव और दबाव के चलते अपने धर्म और कर्म दोनों को गंवा बैठता है जो राष्ट्रहित में नहीं। श्रीकृष्ण शायद द्वापर में कलियुग के इस दुष्प्रभाव को देख चुके थे, इसलिए उन्होंने हमें अग्रिम तौर पर श्रीमद्भागवत रुपी अमृत कलश दिया। सरकार को भी चाहिए कि स्कूल से ही श्रीमद्भगवद्गीता को अनिवार्य रुप से पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए ताकि हर युवा अपने आप को प्रथम चरण से ही मानसिक, शारीरिक तथा चारित्रिक रूप से पूर्णता की तरफ विकसित करे। आस पास सभी श्रध्दालू भक्त कथा का आनंद ले रहै है।

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