सरवानिया महाराज शहर में नीमच सिंगोली रोड शासकीय अस्पताल के पास राणावत समाज के सानिध्य में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयन्ती धूमधाम से मनाई गई। कार्यक्रम में महाराणा प्रताप के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रृद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर समाज के वरिष्ठ मेवाड़ रियासत बड़वा जी श्री बंटी बन्ना टोकरा जागीर ने कहा कि क्षत्रिय वंश में महाराणा जैसा वीर और साहसी कोई दूसरा होना काल्पनिक से परे है। महाराणा प्रताप का सम्पूर्ण जीवन नैतिक मूल्यों तथा आदर्शों से भरा है, जिसका अनुसरण करके जीवन मे बहुत कुछ पाया जा सकता है। मातृभूमि की रक्षा के लिए आन, बान व शान कायम रखते हुए महाराणा प्रताप ने मुगलों की दासता स्वीकार करने की बजाए वनों में रहना ज्यादा श्रेयस्कर समझा तथा वतन की रक्षा के लिए जीवन के अंतिम सांस तक संघर्षरत रहे। इस दौरान अजय प्रताप सिंह राणावत ने कहा कि चेतक को क्यों याद करते हैं। महाराणा प्रताप के चेतक पर हाथी की सूंड बांधी जाती थी. जब भी महाराणा प्रताप की वीरता का बखान होता है तो उनके घोड़े चेतक को जरूर याद किया जाता है. कहा जाता है कि चेतक भी महाराणा की तरह काफी बहादुर था और उसकी छलांग, लंबाई को लेकर कई कहानियां प्रचलित है। इस अवसर महाराज सा कृष्णराज सिंह, श्रीधर सिंह, नगर परिषद अध्यक्ष रूपेंद्र सिंह जैन, कालू सिंह राणावत, पूर्व उपसरपंच वीरेंद्र प्रताप सिंह राणावत, लक्ष्मण सिंह, रविन्द्र प्रताप सिंह, शिवराज सिंह, भेरू सिंह राणावत, दीपेंद्र सिंह, भूपेन्द्र सिंह, योगेंद्र सिंह (भव्यू) अजय प्रताप सिंह राणावत, मयंक प्रताप सिंह राणावत, उमेश सिंह राणावत, कृष्णपाल सिंह, पंकज धनगर, दीपक चौहरा, हरीश राठौर, रमेश कामड़ आदी उपस्थित थे