जीरन। मानव जीवन के जीव से काम,मद और दंभ ये तीनों विकार सिर्फ भगवान श्री राम कथा का श्रवण एवं उनके स्मरण करने मात्र से ही समाप्त हो जाता है। किसी व्यक्ति को इधर-उधर दिमाग नहीं लगाना चाहिए, दिमाग अगर लगाना ही है तो भगवान की भक्ति में लगाओं। उक्त वाणी कथा मर्मज्ञ व प्रवक्ता पूज्या लक्ष्मी प्रिया जी पांडे अयोध्या ने अपने मुखारविंद से जीरन में श्री श्याम मित्र मंडल के तत्वावधान में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा महोत्सव के दुसरे दिन बुधवार को सामुदायिक भवन में बने धर्म पंडाल में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं श्री राम कथा महोत्सव ज्ञान गंगा प्रवाहित करवाते हुए कही। कहा कि जब तक मन में मन रहेगा तब तक वंदन नहीं कर सकते हो। मन में श्री राम का निर्मल ह्रदय से वंदन होगा तभी परमात्मा की भक्ति प्राप्त होगी। कीर्तन में भगवान की किर्ति होती है और भजन में केवल ह्रदय का भाव। पूज्या लक्ष्मी प्रिया जी पांडे ने श्री राम कथा ज्ञान गंगा प्रवाह करते हुए कहा कि अगर 100 योजन दूर से भी गंगा का स्मरण करोगे तो उसका फल प्राप्त हो जाता है। भगवान किसी साधना से नहीं सत्संग और भक्ति कृपा से मिलते हैं। कथा प्रवक्ता पूजा लक्ष्मी प्रिया पांडे के द्वारा जीरन में आयोजित श्री राम कथा महोत्सव में व्यास पीठ से भोजपुरी भाषा में कथा का श्रवण और भजन श्रद्धालुओं को प्रवाहित कर रही है। वहीं लक्ष्मी प्रिया पांडे श्री रामचरितमानस की चौपाइयां और छंद को अपने सुमधुर मधुर स्वर लहरियों के साथ प्रस्तुत कर रही है, जो हर जन मानस को खूब भा रही है कथा। लक्ष्मी प्रिया पांडे भजनों की प्रस्तुति पर उपस्थित श्रद्धालुओं अपने आप को झुमने पर मजबूर हो रहे हैं। बुधवार को कथा के दूसरे दिन भगवान शिव, पार्वती जी, कामदेव, ब्रह्मा, विष्णु,इंद्र,रती, तारकासुर,मैना मैया, हिमालय आदि कथा में प्रसंगों पर संक्षिप्त विवरण किया। कथा महोत्सव में शिव जी और पार्वती जी के विवाह प्रसंग सुनाया तो हजारों श्रद्धालु मोहित हो गए और विवाह भजन की प्रस्तुति पर पूरे मनोभाव से जमकर नृत्य किया। जीरन में श्री श्याम मित्र मंडल द्वारा आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा महोत्सव में प्रतिदिन सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक कथा प्रवक्ता पूज्या लक्ष्मी प्रिया पांडे अपने मुखारविंद से कथा का रसास्वादन कर रही है। श्री श्याम मित्र मंडल ने क्षेत्र के समस्त धर्मप्रेमियों से अनुरोध किया है कि अधिक से अधिक संख्या में निर्धारित समय पर पहुंचकर धर्म लाभ लें।