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MP में अब पुलिस को सांसदों-विधायकों को सैल्यूट करना अनिवार्य, DGP का आदेश, जीतू पटवारी ने कहा ‘पुलिस की वर्दी का अपमान’

Neemuch headlines April 26, 2025, 4:35 pm Technology

भोपाल ।मध्य प्रदेश पुलिस के लिए एक नया आदेश जारी किया गया है, जिसके तहत अब पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सांसदों और विधायकों को सैल्यूट करना अनिवार्य होगा। यह आदेश राज्य के पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना ने जारी किया है।

इस आदेश का कांग्रेस ने विरोध किया है। जीतू पटवारी ने कहा कि आदेश को “लोकतंत्र पर हमला और वर्दी का अपमान” करार दिया है। उन्होंने कहा कि “जिस समय राज्य की कानून व्यवस्था रसातल में पहुंच चुकी हो, पुलिस खुद अपराधियों के निशाने पर हो, ऐसे समय में राज्य सरकार पुलिस को न्याय दिलाने की बजाय सत्ता के प्रतीकों के सामने झुकने का फरमान सुना रही है।” उन्होंने इस आदेश का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। पुलिस महानिदेशक ने जारी किया आदेश डीजीपी कैलाश मकवाना ने एक आदेश जारी किया है जिसमें स्पष्ट किया गया है कि किसी भी जनप्रतिनिधि के साथ शिष्ट व्यवहार में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। चाहे वह कोई सरकारी आयोजन हो, सामान्य मुलाकात हो या थाने का दौरा..वर्दीधारी पुलिसकर्मियों को सांसदों और विधायकों को सम्मानपूर्वक सैल्यूट करना होगा। इसके अलावा, यदि कोई सांसद या विधायक पुलिस अधिकारी के कार्यालय में मिलने आते हैं तो अधिकारियों को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर उनसे मुलाकात कर उनकी बात सुननी होगी और उनकी समस्याओं का विधिसम्मत समाधान करना होगा। वीडी शर्मा का बड़ा बयान, पाकिस्तानी नागरिकों को ढूंढ ढूंढ कर निकालेंगे, एक नहीं बचेगा,

देश करारा जवाब देगा आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि कोई जनप्रतिनिधि किसी जनसमस्या को लेकर फोन पर संपर्क करता है तो संबंधित पुलिस अधिकारी को उनकी बात ध्यानपूर्वक सुननी होगी और शिष्टतापूर्वक जवाब देना होगा। सांसदों और विधायकों द्वारा लिखे गए पत्रों का जवाब समयबद्ध तरीके से और अधिकारी के हस्ताक्षर के साथ देना अनिवार्य होगा। जीतू पटवारी ने किया विरोध, आदेश वापस लेने की मांग इस आदेश के जारी होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि पुलिस का मनोबल पहले ही कमजोर है। वह एक ओर अपराधियों से लड़ रही है, तो दूसरी तरफ भाजपा नेताओं के दबाव से। उन्होंने कहा कि ‘अब यह आदेश उन्हें और भी कमजोर, झुका हुआ और भयभीत बना सकता है। पुलिस की निडर और निष्पक्ष कार्यप्रणाली में सत्ता दल के नेताओं का दखल बढ़ सकता है। यह आदेश जनतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों और संविधान की आत्मा ‘जनता सर्वोच्च है’ का भी अपमान है’। उन्होंने सवाल किया कि पुलिस की प्राथमिकता अपराध रोकना है या नेताओं को सलाम ठोकना? जब किसी मामले में विधायक थाने आकर दबाव बनाएंगे और पहले सलामी लेंगे, तब पुलिस स्वतंत्र जांच कैसे करेगी? जीतू पटवारी ने कहा कि ‘मैं बीजेपी सरकार के इस निर्णय का विरोध करता हूं और यह कहना भी चाहता हूं कि यह अपरिपक्व निर्णय पुलिस के मनोबल को कमजोर करने की साजिश है’। कांग्रेस ने इस आदेश को वापस लेने की मांग की है।

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