नीमच ।यदि माता-पिता देव गुरु धर्म और शास्त्र के मार्ग पर चले तो बच्चे भी इस संस्कार को ग्रहण करेंगे। हम ऐसा कोई पाप कर्म नहीं करें जिससे जिन शासन की अवेहलना हो। आसक्ति के त्याग बिना आत्मा का कल्याण नहीं हो सकता है। धार्मिक नैतिक संस्कारों के बिना बच्चों को भविष्य उज्जवल नहीं होता है। यह बात साध्वी अमीदर्शा श्री जी मसा ने कही। वे श्री जैन श्वेतांबर भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट नीमच के तत्वावधान में आयोजित नवपद ओली की तपस्या की साधना परअमृत प्रवचन श्रृंखला में बोल रही थी।
उन्होंने कहा कि बच्चों की बुद्धि का विकास करना है तो उनका स्कूल बैग पीले रंग का हो, वह जहां सोते हो उस पलंग की चद्दर का रंग पीला होना चाहिए। नवकार मंत्र के प्रत्येक वाक्य में विभिन्न रोगों को दूर करने की क्षमता होती है। हम एकाग्रतापूर्वक रोगी को नवकार मंत्र सुनाएं तो वह भी स्वस्थ हो सकता है। ब्रह्मचर्य के 9 प्रकार के नियमों का पालन करें तो संयम जीवन की ओर हम अग्रसर हो सकते हैं। धर्म सभा में लब्धी पूर्णा श्री जी महाराज साहब ने कहा कि तीर्थ यात्रा में परमात्मा के दर्शन करने से आत्मा को संतुष्टि मिलती है उसे जीवन में आनंद का संचार होता है। हमें दूसरों के पास धन सदैव ज्यादा दिखता है जबकि हमारे पास जो है उसे ही हम पर्याप्त समझकर संतुष्ट रहे तो हमारी आत्मा का कल्याण हो सकता है। राजा शालीभद्र के 32 पत्नियां थी लेकिन फिर भी वह स्वभाव से शांत थे। आधुनिक युग में एक व्यक्ति के एक पत्नी होती है फिर भी वह स्वभाव से शांत नहीं रहता है इसी कारण वह दुःखी होता है। मनुष्य की पहचान उसके स्वभाव से होती है इसलिए हमें सभी के साथ मधुर व्यवहार करना चाहिए।
कोई भी मालिक यदि अपने नौकर को आवेश में निर्देश देता है तो नौकर उस निर्देश का पालन तो कर लेगा लेकिन उसके मन में मालिक के प्रति सद्भावना नहीं रहेगी। धर्म सभा में नीमच की बेटी मृदु पूर्णा, प्राप्ति पूर्णा, केवल पूर्णा, नीमच की बेटी जिनार्ग पूर्णा श्री जी आदि ठाना का सानिध्य भी मिला। नवपद ओली जी तपस्या पर अमृत प्रवचन कल श्री जैन श्वेताम्बर भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट नीमच के तत्वावधान में साध्वी अमीदर्शा श्री जी महाराज साहब के पावन सानिध्य में प्रतिदिन नवपद ओली जी तपस्या की आराधना के विषय परअमृत धर्म सभा प्रवचन श्रृंखला पुस्तक बाजार स्थित आराधना भवन में प्रतिदिन सुबह 9:15 बजे अमृत धर्म प्रवचन श्रृंखला प्रवाहित हो रही है। सभी समय पर उपस्थित होकर धर्म तत्व ज्ञान गंगा का पुण्य लाभ ग्रहण करें।