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अमृत प्रवचन श्रृंखला में उमड़े समाज जन, नवपद ओली जी की आराधना में एकाग्रता के बिनाआत्मा का कल्याण नहीं होता है - साध्वी अमि दर्शा श्री जी मसा।

Neemuch headlines March 27, 2025, 6:15 pm Technology

नीमच। नवपद ओली जी की आराधना मन वचन काया से करें तभी आत्मा में आनंद आता है और उसका पुण्य फल मिलता है। धर्म कथानक को एकाग्रतापूर्वक श्रवण कर उपदेशों को समझे तभी उसका लाभ पुण्य के रूप में परिवर्तित होता है। नवपद ओली जी की आराधना में एकाग्रता बिना आत्मा का कल्याण नहीं होता है।। यह बात साध्वी अमीदर्शा श्री जी मसा ने कही। वे श्री भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट नीमच के तत्वावधान में पुस्तक बाजार स्थित आराधना भवन मेंआयोजित अमृत प्रवचन श्रृंखला में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि नवपद आराधना में आयम्बिल तप करने का पवित्र संकल्प ले तो आत्म कल्याण का मार्ग मिल सकता है।

पति-पत्नी दोनों एक दूसरे का गुण देखते हैं तो परिवार सुख शांति से आगे बढ़ता है। संसार में रहते हुए पति पत्नी दोनों को एक दूसरे की इच्छा पूर्ति नहीं होने पर धैर्य और संयम रखना चाहिए तभी संसार में सुख शांति के साथ रह सकते हैं। छोटी-छोटी बातों को त्याग करना चाहिए और संयम जीवन अपनाना चाहिए तो जीवन में आनंद ही आनंद आ सकता है। मैयना सुंदरी ने तपस्या करते हुए अपने धैर्य और संयम को जीवन में पालन किया तो आज 11 लाख वर्ष बाद भी हम उनके संस्मरण को याद कर रहे हैं। ओली जी की आराधना वर्ष में दो बार आती है इसलिए हमारी आत्मा के कल्याण के लिए हमें नवपद ओली जी की आराधना की साधना तपस्या के साथ करना चाहिए तभी हमारे जीवन का कल्याण हो सकता है। नवपद ओली जी की आराधना शाश्वत होती है। हमें शरीर के कष्टों को नहीं, आत्मा के कल्याण के बारे में चिंतन करना चाहिए। चींटी को लिपस्टिक लगाना कठिन होता है। हाथी को गोद में में उठाना कठिन होता है। मच्छर के कपड़े पहनाना कठिन होता है उसी प्रकार धर्म पत्नी को समझाना भी मुश्किल होता है। मैयना सुंदरी के जीवन चरित्र में पति को परमेश्वर के रूप में स्थान दिया गया है इसलिए उनका जीवन सफल रहा था और उनकी आत्मा कल्याण हुआ और उन्होंने मोक्ष को प्राप्त प्राप्त किया था। धन संपत्ति वाले ही तपस्या धर्म कर सकते हैं यह असत्य होता है। मैयना सुंदरी के चरित्र से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए कि उनके पास कुछ भी नहीं था। उन्होंने आस्था और विश्वास श्रद्धा सच्चाई के साथ अपनी तपस्या निरंतर जारी रखी तो उनकी आत्मा का कल्याण हो गया था। ।

नवपद ओली जी की आराधना का पुण्य फल कभी निष्फल नहीं जाता है। वह अवश्य मिलता ही है। आराधना में बाह्य धन संपत्ति की नहीं, अंतर वैभव की आवश्यकता होती है। यदि हम अच्छा जीवन चाहते हैं तो नव पद ओली जी की आराधना अखंड रूप से करना चाहिए। जिसने तपस्या के साथ समय के महत्व को समझ लिया उसने अपने जीवन कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर लिया। धर्म सभा में साध्वी लब्धी पुर्णा श्री जी महाराज साहब ने कहा कि मंदिर और उपसारे संस्कारों के साथ पुण्य की फैक्टरी होती है। परमात्मा का स्पर्श कर अपना पुण्य बढ़ाना चाहिए । भगवान से विनती करें तो हमारे उपसर्ग दूर होंगे। यदि हमारे घर में रोग आ गया तो भी हमें प्रतिकूलता में भी प्रसन्न रहना चाहिए हम अच्छी क्रिया पूजा पाठ का पुनरावर्तन नहीं करते हैं हम बुराई को जल्दी ग्रहण करते हैं। अच्छाई को ग्रहण करने में बहुत देर लगा देते हैं। इसलिए हमारे जीवन का कल्याण नहीं हो पाता है। यदि हमारा ₹500 का नोट गुम गया तो हम दिन भर उस पर बात करते हैं। लेकिन यदि हमने परमात्मा के अच्छे दर्शन किए तो उसका विचार नहीं करते हैं चिंतन का विषय है।

हम अधिकतर पुण्य कर्म से दूर रहते हैं जबकि हमें बुरे कर्मों से दूर रहना चाहिए । पूजा मन वचन काया से अखंड रूप से नियमित होना चाहिए। तभी पाप कर्मों की निर्जरा होती है। भगवान अच्छे लगते हैं इसलिए हम पूजा करते हैं भगवान बन तो नहीं सकते लेकिन उनके बताएं उपदेशों पर तो चलकर अपनी आत्मा को कल्याण कर सकते हैं। पूजा विधि का कोई शॉर्टकट नहीं होता है। पूजा विधान नित्य पूर्ण होना चाहिए। शब्द सहन करने की है हमारे अंदर क्षमता को विकसित करना चाहिए हम सहन नहीं कर पाते यही इसलिए हमारे उपसर्ग बढ़ाते हैं और पाप कर्म बढ़ाते हैं हम प्रतिदिन भगवान से कष्ट दूर करने की प्रार्थना है तो करते हैं लेकिन कष्ट को सहन करने की क्षमता का विकास नहीं करते हैं। इसीलिए हम दुखी रहते हैं। धर्म सभा में लब्धि पूर्णा, मृदु पुर्णा श्री जी, श्रीजी प्राप्ती पूर्णा श्री जी, केवल पुर्णाश्रीजी, जिर्नाग पुर्णा श्री जी आदि ठाना का सानिध्य मिला। नवपद ओली जी की आराधना पर प्रतिदिन 9:15 बजे पुस्तक बाजार स्थित आराधना भवन में अमृत प्रवचन श्रृंखला प्रवाहित होगी सभी समय पर उपस्थित होकर धर्म ज्ञान गंगा का पुण्य लाभ ग्रहण करें

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