नीमच । पतझड़ के बाद वसंत का आगमन होता है जो उमंग आनंद और उल्लास का प्रतीक है वसंत पुरातन को छोड़कर नूतन को अपनाने का संदेश देता है जीवन में संघर्ष के बाद आनंद का अनुभव होना ही वसंती रंग है उक्त उद्गार वसंत उत्सव पर सुप्रसिद्ध कवयित्री डॉक्टर प्रेरणा ठाकरे के निवास पर आयोजित।
निराला जयंती पर वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर अख्तर अली शाह अनंत ने व्यक्त किये। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉक्टर महिपाल सिंह चौहान ने कहा कि शहर में निराला जयंती का आयोजन प्रेरणा जी के निवास पर 20 वर्षों से हो रहा है जो शहर की उल्लेखनीय परंपरा है जिसमें विशुद्ध रूप से शब्द साधना की जाती है। जिला लेखक संघ के संयोजक गुणवंत गोयल ने महाकवि निराला के संघर्ष को याद करते हुए कहा कि निराला ने जीवन में कभी समझौता नहीं किया वे सरस्वती के सच्चे सपूत थे इसी कारण उन्हें महाप्राण कहा जाता है। चिकित्सक एवं गीतकार चेतन प्रकाश उपाध्याय ने निराला को युग कवि के रूप में मानते हुए कहा कि निराला के काव्य में संगीत तत्व था उन्होंने सुमधुर गीतों की प्रस्तुति दी। व्याख्याता राधेश्याम शर्मा नै निराला के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विश्लेषण करते हुए निराला साहित्य के महत्वपूर्ण तत्वों को स्पष्ट किया और कहा कि निराला की कविता में राग के साथ-साथ विराग भी था। सुप्रसिद्ध कवयित्री डॉक्टर प्रेरणा ठाकरे ने वसंत की प्रासंगिकता पर विचार व्यक्त करते हुए महाकवि निराला को हिंदी साहित्य का विलक्षण कौव कहते हुए कहा कि वेअपना खून सुखाकर सुखाकर साहित्य सृजन करते थे ।
उनकी कविताओं में मजदूर पीड़ितों की व्यथा कथा है। वही निराला ने राम की शक्ति पूजा जैसी ओजस्वी कविता का सृजन किया प्रेरणा ने वसंत पर सुंदर गीत हे वसंती और रसवंती जीवन की नाव रे, चलते-चलते थक न जाए पाहुन तेरे पांव रे की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवं निराला जी के पूजन अर्चन से हुआ कार्यक्रम में इस वर्ष के निराला सम्मान से डॉक्टर सुरेंद्र शक्तावत को उनकी कृति 1857 की क्रांति और नीमच के लिए प्रदान किया गया कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर सुरेंद्र शक्तावत ने किया एवं आभार विष्णु परिहार ने माना।