नीमच। संसार में रहते हुए मनुष्य भौतिक संसाधनों की चकाचौंध में अपना धैर्य खो देता है। य के पास जितना धन प्राप्त है। इतना ही मनुष्य पर्याप्त है। यह जीवन जीने का प्रमुख सूत्र सूत्र है। धैर्य और संतोष का धन सदा सच्चा सुख देता है। आधुनिक युग में मनुष्य धन कमाने की होड़ में गला काट प्रतिस्पर्धा की ओर आगे बढ़ जाता है और अपने मार्ग से भटक जाता है। धन तो बहुत कमा लेता है लेकिन संतोष का धन नहीं कमा पाता है इसलिए हमें संतोष धन कमाने पर ध्यान देना चाहिए। क्योंकि संतोषी सदा सुखी मुखी रहता है।
यह बात रामानंद पुरी महाराज ने कही। वे पंचमुखी बालाजी मंदिर काना खेड़ा में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में श्रीमद् भागवत में बोल रहे थे। ताकि उन्होंने कहा कि जन्म और मृत्यु के मध्य की यात्रा सुख-दुख है। सुख आने पर ज्यादा आनंदित नहीं हो, और दुःख आने पर धैर्य रखना चाहिए। यही कृष्ण का उपदेश है। उन्होंने श्री कृष्ण सुदामा प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि श्री कृष्ण ने सुदामा को दो मुट्ठी चावल के बदले दो लोको का सुख राज्य वरदान आशीर्वाद के रूप में दे दिया था। तीसरी मुट्टी चावल भी कन्हैया खाने लगे तो रुक्मणी ने उन्हें रोक लिया क्या सब कुछ दे दोगे या अपने लिए भी कुछ रखोगे। आधुनिक युग की मित्रता का प्रेम स्वार्थ का हो गया है। महाराज श्री ने कृष्ण गोपी संवाद का विस्तार से वर्णन प्रस्तुत करते हुए कहा कि गोपिया कृष्ण की भक्ति में इतनी ली हो जाती थी कि अपनी शुद्ध बुद्ध खो देती देती थी। गुरु, बहन बेटी, राजा, अधिकारी, मंदिर और मित्र के यहां कभी खाली हाथ नहीं जाना चाहिए। बच्चों के सामने हमें इस प्रकार का जीवन जीना चाहिए बच्चे भी हमारे जीवन के संस्कारों से प्रेरणा लेकर यह कहे कि पिता जैसा आदर्श व्यक्ति बनना ही जीवन का लक्ष्य है। सच्ची पतिव्रता नारी वही होती है जहां पति रहता है वह भी वही रहती है। कितनी कठिन परिस्थिति क्यों ना हो। हम किसी का अपमान करेंगे तो क्षमादान नहीं मिलता है। हम किसी का अपमान नहीं करें हम सभी का सम्मान करें तभी जीवन में सफलता मिलती है। संसार की सभी भौतिक वस्तुएं नाशवान है लेकिन मृत्यु शाश्वत सत्य है। व्यक्ति को जीवन के सामने को मृत्यु को रख कर जीवन जीना चाहिए।
और पुण्य परमार्थ के कर्म करते रहना चाहिए तभी जीवन सफल हो सकता है। गुरु दत्तात्रेय ने संसार में 24 ज्ञान के गुरुओं को माना गाना है उन्होंने बताया कि वायु स्थिर नहीं रहती है गंदगी में जाती है भाई फिर भी गंदी नहीं होती है। सुगंध में जाती है फिर भी सुगंधित नहीं रहती है। वह अपना प्रभाव अलग ही रखती है। मनुष्य को यह शिक्षा लेनी चाहिए कि सुख दुख दोनों में लिप्त नहीं होना चाहिए। दोनों आते जाते रहते हैं। पानी के स्वभाव से सीखना चाहिए वह जिस रंग में मिलता है वैसा हो जाता है। मनुष्य को भी जहां जिस रंग में मिले वैसा ही स्वभाव में घुल मिल जाना चाहिए। आकाश से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि वह सभी को समान रूप से छाया प्रदान करता है वह किसी में छोटा बड़ा अमीर गरीब जाति पति का भेद नहीं करता है। परमात्मा की पूजा करने वाले पुजारी का संसार चरण वंदन करता है इसलिए हमें परमात्मा की चरण में शरण में जाना चाहिए ताकि संसार हमें भी भक्त मानकर सम्मान प्रदान कर सके। । हमें सोचना चाहिए कि हम कहां है और क्या कर रहे हैं। यदि हम परमात्मा के चरणों में रहेंगे तो संसार हमारे चरणों में रहेगा। किसी को कष्ट पहुंचे और हम भी परेशान हो। सूर्य सभी को समान रूप से रोशनी देता है हमें चंद्रमा से प्रेरणा लेनी चाहिए कि संसार में कुछ भी स्थाई नहीं रहता है घटता बढ़ता रहता है। बच्चों के बचपन से हमें शिक्षा लेनी चाहिए कि हमें हमारे मन को निर्मल रखना एकाग्रता बिना प्रभु भक्ति में सफलता नहीं मिलती है। हम माता पिता की सेवा नहीं कर पाते हैं तो गया जी सौ बार श्राद्ध करते तो हमारा कल्याण नहीं हो सकता है। अंत समय में हमारी जैसी मति होती है वैसी ही हमारी गति होती है इसलिए सदैव हमें पुण्य परमार्थ के सत्संग प्रभु नाम स्मरण करना चाहिए तभी हमारा मोक्ष हो सकता है उन्होंने अपने जीवन का सब कुछ परमात्मा को दान कर दिया था।। आम के जीवन जीवन से हमें मर्यादा व मर्यादा का पाठ सीखना चाहिए। श्री कृष्णा से कर्म योग सीखना चाहिए। महाराज श्री ने सुदामा चरित्र परीक्षित मोक्ष का वर्तमान परिपेक्ष में महत्व प्रतिपादित किया।
इस अवसर पर भागवत प्रवक्ता रामानंद महाराज का आयोजन समिति पदाधिकारियों द्वारा साल श्रीफल हुए कहा से सम्मान कर आशीर्वाद ग्रहण किया । श्रीमद् भागवत कथा के अवसर पर रामानंद महाराज ने श्री कृष्ण रुक्मणी द्वारा सुदामा के चरण आंसुओं से धुलाने के मार्मिक चित्रण सुनाया तो सभी श्रद्धालु भाव विहल हो गए। भागवत में श्री कृष्ण द्वारपाल तथा सुदामा कन्हैया के प्रंसग पर महत्व पर वर्तमान परिपेक्ष में प्रकाश डाला। कथा विश्राम और पूर्णाहुति के साथ कथा का विश्राम हुआ तत्पश्चात श्रीमद्भागवत पौथी को सिरोधार्य कर श्रद्धालु भक्तों ने पोथीयात्रा निकाली यात्रा पंचमुखी मंदिर पहुंची जहां पूजा अर्चना के बाद धार्मिक अनुष्ठान विसर्जन समारोह में परिवर्तित हो गया। पंचमुखी बालाजी मंदिर विकास के लिए₹5 लाख रुपए की विधायक नीधि की राशि देने की घोषणा की। आरती के बाद प्रसाद वितरण किया । भागवत कथा पोथी पूजन आरती में अतिथि के रूप में परशुराम सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रवि बोहरा, विधायक दिलीप सिंह परिहार, पवन पोरवाल, राधा, श्रृष्टि निमिति पोरवाल, श्रीमती संजू राजू तिवारी, श्यामनरेडी, नाथु सिंह राठौड़, दशरथ सिंह चौहान, राकेश भारद्वाज, सहभागी बनें। धर्म सभा का संचालन दशरथ नागदा ने किया।