चीताखेडा ।हमारी भारतीय संस्कृति और मंदिर से युवा पीढ़ी को जोड़कर रखने की आवश्यकता है, दिनों दिन पाश्चात्य संस्कृति हावी होती जा रही है। मित्रता दो हृदयों को बांधने वाली प्रेम डोर होती हैं। मित्रता की तलाश मनुष्य की सहज वृत्ति है, सच्चे मित्र के प्रति उसका सौभाग्य है, मित्रता मन की प्यास है, जिसके लिए मनुष्य तड़पता और वह बड़ा ही भाग्यवान है जिसकी यह प्यास बुझ जाती हैं।
गुरु के बिना भव सागर नहीं जा सकते, बिना गुरु के मानव के जीवन में गौर अंधेरा हैं। सुदामा ब्रह्मज्ञानी थे, ब्रह्म को जानने वाले थे सुदामा, ग्रहस्थि में रहते हुए भी विरक्त थे, सुदामा कोई साधारण नहीं थे। सुदामा जानते थे की गुरु माता द्वारा दिए गए ये चने श्रापित हैं, अपने मित्र श्रीकृष्ण को दरिद्रता से बचाने के लिए खुद ने श्रापित चने खा कर दरिद्रता को अपने उपर ले ली। जिसके पास संतोष नहीं है वो दरिद्र हैं, सुदामा गरीब नहीं थे. उक्त वाणी कथा मर्मज्ञ पं. निरंजन शर्मा ने ग्राम कराड़िया महाराज में खाखरदेव मंदिर परिसर पर ठाकुर भगवान सिंह राणावत परिवार द्वारा आयोजित साप्ताहिक श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा प्रवचन के दौरान अंतिम दिन रविवार को अपने मुखारविंद से प्रवाहित करते हुए कही। पं. निरंजन शर्मा ने कथा का रसास्वादन करवाते हुए कहा कि किसी कपटी मित्र की मित्रता केवल शब्दों तक ही सीमित होती हैं ऐसे विश्वासघाती मित्रों के भावों में धोखा होता है किंतु भाषा में सरलता- मधुरता रहती है. सर्वप्रथम व्यास पीठ पर पौथी पूजन मुख्य यजमान के रूप में ठाकुर भगवान सिंह राणावत, मांगू सिंह राणावत, लोकेंद्र सिंह राणावत, दशरथ सिंह राणावत सहपरिवार ने की। राणावत परिवार द्वारा कथा मर्मज्ञ पं. निरंजन शर्मा का साल श्रीफल भेटकर सम्मान किया । कथा पंडाल में प्रारंभ में विधि विधान वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन किया गया।
साप्ताहिक श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव के अंतिम दिन कथा की पूर्णाहुति पर राणावत परिवार द्वारा महाप्रसादी के रूप में मैं सामुहिक स्वभोज करवाया गया। इन्होंने की शिरकत - जिला पंचायत अध्यक्ष सज्जन सिंह चौहान, दक्षिण मंडल अध्यक्ष मदन लाल गुर्जर सहित कई वरिष्ठजन भागवत कथा में विशेष रूप से शिरकत कर व्यास पीठ पर जाकर पोथी पूजन कर पं. निरंजन शर्मा का आर्शीवाद लिया। प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं ने कथा का पूरी शिद्दत के साथ श्रवण किया। कथा पंडाल से शाम 5 बजे गाजे बाजे के साथ शौभायात्रा प्रारंभ हुई जो गांव के विभिन्न मार्गों से होती हुई हनुमान जीं मंदिर पर पहुंची