डीकैन। कल सम्पूर्ण भारत के जैन समाज के लिए एक सुनहरा पल आ रहा हैं, जो मप्र के धार जिला स्थित मंडवगड़ तिर्थ मे समस्त भारत के जैन पत्रकारो का एक दिन का महाकुम्भ लगने वाला हैं। इस महाकुम्भ के आयोजन को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय श्री हार्दिक इंडिया जी से चर्चा की गईं तो उन्होंने बताया की आल इंडिया जैन पत्रकार एसोशीयन (आईजा) का अभियान एक पहल है जिसका उद्देश्य सम्पूर्ण भारत के जैन समाज के हर एक मोती समान पत्रकार को एक माला मे पोना हैं फिर चाहे वह श्वेताबर हो चाहे दिगंबर हो फिर चाहे किसी भी पंथ का हो भगवान श्री महावीर स्वामी जी का प्रत्येक अनुयायी इस एसोशियन का महत्वपूर्ण मोती हैं और इसी संकल्प को लेकर हम सभी को एक मंच पर लाने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही प्रेस की स्वतंत्रता को बढ़ावा देना और पत्रकारों को उनके कर्तव्यों का पालन करते समय हिंसा, धमकियों और उत्पीड़न से बचाना है। इस अभियान के हिस्से के रूप में, आईजा सभी को अपने उद्देश्य का समर्थन करने, उनकी बेहतर सुरक्षा के लिए कार्रवाई करने, साथ ही पत्रकारों की सुरक्षा के महत्व और स्वतंत्र रूप से और बिना किसी डर के समाचार रिपोर्ट करने के उनके अधिकार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए आमंत्रित कर रही है।
12 जनवरी 2025 को मंडवगड़ (धार) मे सभी जैन पत्रकारों का महाकुम्भ होगा, जिसका उद्देश्य आईजा के सभी सदस्य एक सूत्र मे बांधना है। यह अब सम्पूर्ण भारत के जैन समाज के लिए खुला हैं फिर चाहे श्वेताबर हो या दिगंबर हो फिर चाहे किसी भी पंथ का हो सभी भगवान महावीर स्वामी जी के अनुयायी के लिए खुला है। राष्ट्रीय अध्यक्ष हार्दिक हंडिया ने एक महत्वपूर्ण बात को भी साझा किया की एक अध्ययन में पता चला हैं की पत्रकारों के बीच बढ़ती मृत्यु दर, शारीरिक हमलों, धमकी की घटनाओं, न्यायिक उत्पीड़न, कारावास, कानून का उल्लंघन, बदनामी अभियान और वित्तीय लीवर के दुरुपयोग बहुत हुआ हैं और इन्ही मुद्दों पर जोर दिया जाएगा। इसमे अन्य चुनौतीय भी शामिल हैं जो चुनौतियों के रूप में लंबी जांच, मीडिया आउटलेट्स को प्रचार उपकरण बनने या बंद करने के लिए मजबूर किया जाना, नए आतंकवाद विरोधी कानून ने सरकारी नियंत्रण के लिए मीडिया की भेद्यता को बढ़ाया और पत्रकारों और उनके स्रोतों पर दबाव डाला।
इसने उन पत्रकारों के खिलाफ पुलिस हिंसा के व्यापक खतरे को भी रेखांकित किया जो प्रदर्शनों को कवर करते हैं। अंत में, इसने संकेत दिया कि कई देशों में असहमति को दबाने के लिए मानहानि कानून का इस्तेमाल किया गया था। इन सभी महत्वपूर्ण मुद्दों को इस आयोजन मे सभी पत्रकारों के साथ साझा किया जाएगा।