नीमच । पंजीयक कार्यालय नीमच शासन को हर साल करीब 40 करोड़ रु का राजस्व देता है, लेकिन विडंबना है कि जिलें में सर्वाधिक राजस्व देने के बावजूद नीमच के उप पंजीयक कार्यालय में दस्तावेजों का पंजीयन और रजिस्ट्री कराने के लिए पहुंचने वाले लोगों के लिए बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। हालात यह है कि बारिश, ठंड या गर्मी में क्रेता-विक्रेता के साथ ही गवाह भी परेशान होते हैं और शौच और पीने के पानी के लिए तक भटकना पड़ता है। दुःखद है कि जिले के सभी बड़े अधिकारी कलेक्टर कार्यालय में ही बैठते हैं तो अगर कलेक्टर में इतनी अव्यवस्थाओं का आलम है तो पूरे जिले के क्या हाल होंगे। यह मुद्दा उठाते हुए प्रदेश कांग्रेस सचिव व जिला पंचायत सदस्य तरूण बाहेती ने कहा कि पंजीयन विभाग जिले का सबसे महत्वपूर्ण विभाग है जो दस्तावेजों का पंजीयन करने के साथ ही संपत्तियों की रजिस्ट्री भी करता है,
जिससे मिलने वाला स्टाम्प शुल्क से शासन को हर साल करोड़ों रूपए का राजस्व मिलता है, लेकिन समस्या यह है कि सबसे अधिक राजस्व देने वाले विभाग की सुविधाएं भी सबसे खराब है। कांग्रेस नेता श्री बाहेती ने बताया कि नीमच कलेक्टोरेट कार्यालय में संचालित उप पंजीयन कार्यालय में जहाँ प्रतिदिन दस्तावेजों का पंजीयन व रजिस्ट्री कराने कराने के लिए बड़ी संख्या में क्रेता-विक्रेता, गवाह, सर्विस प्रोवाइडर व क्रेता- विक्रेता के परिजन आदि पहुंचते हैं, पर ठंड हो या बारिश उन्हें कलेक्टोरेट के पीछे एक गालियारे जैसी जगह में उप पंजीयन कार्यालय की खिड़की के बाहर घंटो खड़ा रहना पड़ता है। स्थिति यह है कि जहां रजिस्ट्री कराने के लिए लोगों को खड़ा किया जाता है, वहां बैठने की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है और पेयजल एवं महिलाओं के सुविधाघर तक का अभाव है। अगर किसी को सुविधाघर की जरूरत महसूस होती है तो कलेक्टोरेट में प्रवेश करना पड़ता है, जिसमें सबसे अधिक महिलाएं परेशान होती है तथा बच्चों के साथ आने वाली महिलाओं को तो जमीन पर बैठना पड़ता है जबकि नियमानुसार यहाँ मातृत्व कक्ष का भी निर्माण होना चाहिए जहाँ छोटे व जन्मे बच्चों के साथ आने वाली महिलाएं बच्चों को दूध भी पिला सके। 3 साल में 105 करोड़ रूपए कमाए नीमच उप पंजीयक कार्यालय ने कांग्रेस नेता श्री बाहेती ने बताया कि पिछले 3 वित्तीय वर्षों का आकड़ा देखा जाए तो सिर्फ नीमच के उप पंजीयन कार्यालय ने लगभग 105 करोड़ रूपए का राजस्व दस्तावेजों के पंजीयन और रजिस्ट्रियां कर प्राप्त किया है। नीमच पंजीयन कार्यालय के रिकार्ड अनुसार पिछले वित्तीय वर्षों में प्रतिवर्ष 18500 से अधिक दस्तावेजों की रजिस्ट्रियां हुई है, सम्पति रजिस्ट्री करवाने वाले क्रेता-विक्रेता, गवाह के सहित 10 लोग एक रजिस्ट्री कराने उप पंजीयन में पहुँचते है। । अगर यह आकड़ा प्रतिदिन के हिसाब से जोड़ा जाए तो लगभग 500 लोग नीमच पंजीयन कार्यालय में प्रतिदिन आते हैं। इतने अधिक लोगों के आने के बावजूद उनके बैठने की व्यवस्था भी नहीं हो पाना प्रशासन की लापरवाही एवं गलत कार्यशीलता को दर्शाती है। खुद का भवन नहीं, कलेक्टोरेट में एक हाल में चल रहा दफ्तर- श्री बाहेती ने कहा कि नीमच जिले के बने 25 वर्ष हो गए ए है लेकिन हालात यह है कि सरकार को हर साल करोड़ों रूपए का राजस्व देने वाले नीमच उप पंजीयन विभाग के पास खुद का भवन तक नहीं है। संयुक्त कलेक्टोरेट में विभाग को दो हॉल तो आवंटित हैं, लेकिन उपयोग एक का ही हो रहा है, उसमें भी उप पंजीयक बैठ रहे हैं, जबकि दूसरे हॉल में निर्वाचन आयोग ने कब्जा कर निर्वाचन कि सामग्री रख रखी है, जबकि निर्वाचन आयोग के पास खुद का अपना भवन है। श्री बाहेती ने कहा कि तहसील कार्यालय अलग बनने के बाद कलेक्ट्रेट परिसर का ऊपर का परिसर खाली हो चुका है। कलेक्टर कार्यालय में नीचे स्थित विभागों को ऊपर की मंजिल पर स्थापित कर यहाँ पंजीयन कार्यालय कि बड़ी जगह देकर आम जनता को सुविधा देनी चाहिए ।
आरक्षित है भूमि, पर लेप्स हो चुकी है भवन निर्माण राशि जिला पंचायत सदस्य तरुण बाहेती ने बताया कि जिला पंजीयक का भवन पूर्व में एसपी कार्यालय में बनाया गया था, लेकिन पुलिस की गोपनीयता के मद्देनजर पुलिस विभाग ने प्रशासन के हस्तक्षेप से जिला पंजीयन विभाग का भवन हैंडओवर कर लिया था, तब तत्कालीन कलेक्टर जितेंद्र राजे ने 28 नवंबर 2020 को एक आदेश पारित कर जिला पंजीयन विभाग को कलेक्टोरेट परिसर में लोकसेवा केंद्र के पास भवन निर्माण के लिए 4000 वर्ग फीट भूमि देने का आदेश जारी किया था। जहां जिला पंजीयक कार्यालय का भी निर्माण होना था, इस भवन निर्माण के लिए चौवन लाख रु राशि स्वीकृत थी, लेकिन भी हुई प्रशासन और जनप्रतिनिधि को ढीली नीति के कारण वह राशि भी लेप्स हो चुकी है। अब जिला पंजीयक कार्यालय को कलेक्टर कार्यालय में पहली मंजिल पर एक कमरा आवंटित किया जा रहा है, जिससे अब नवीन भवन बनाने की सम्भावना भी समाप्त हो गई है। श्री बाहेती ने कहा कि नीमच के विधायक दिलीप सिंह परिहार के भी संज्ञान में यह मामला है, लेकिन जनता कि परेशानी से उन्हें मतलब नहीं, अगर वें मूलभूत सुविधा भी नहीं दे पा रहें तो आखिर किस मुँह से विकास का ढिंढोरा पीटा जाता है। आज जिले का सबसे अधिक कमाई देने वाला और महत्वपूर्ण विभाग ही बदहाल है, जिसे देख लगाता है कि प्रदेश की भाजपा सरकार को तो पंजीयन विभाग की कमाई से मतलब है जबकि जनता को सुविधा से कोई लेना देना नहीं है