इस दीपावली दरिद्रता आपके घर को छोड़कर चली जाएगी, अगर इस विधि से करेंगे महालक्ष्मी का पूजन

Neemuch headlines October 31, 2024, 9:08 am Technology

लक्ष्मी पूजन करने के लिए लक्ष्मी जी की तस्वीर अथवा प्रतिमा के पास चाँदी की कटोरी में या अन्य बर्तन में चाँदी के सिक्के या प्रचलित भारतीय रूपये के सिक्कों को कच्चे दूध, केसर एवं पंचामृत से स्नान कराएँ फिर पुनः जल से शुद्ध स्नान कराके लक्ष्मी जी के पास स्थापित करें।

फिर पुष्प एवं चावल दाहिने हाथ में लेकर महालक्ष्मी का आह्वान निम्न उच्चारण करते हुए करें तथा नमस्कार करें, जय जग जननी जय रमा, विष्णु प्रिया जगदम्ब। बेग पधारो गेह मम, करो न मातु विलम्ब।। पाट बिराजो गेह मम, भरो अखंड भण्डार। भक्ति सहित पूजन करूं, करो मातु स्वीकार।। मातु लक्ष्मी करो कृपा, करो हृदय में वास। मनोकामना सिद्ध करो कृपा, पुरवहु मेरी आस।। यही मोरि अरदास, हाथजोड़ विनति करूं। सबविधि करौं सुवास, जय जननि जगदंबिका।। सब देवन के देव जो हे विष्णु महाराज। हो उनकी अर्द्धांगिनी, हे महालक्ष्मी आप।। मैं गरीब अरजी धरूं, चरण शरण में माय। जो जन तुझको पूजता सकल मनोरथ पाय।।

फिर दोनों हाथ से पुष्प एवं चावल लक्ष्मीजी के पास छोड़ें ओर तीन बार जल के छींटे दें और उच्चारण करें,‘पाद्यं, अर्घ्यं, आचमनीयं स्नानं समर्पयामि।’ उसके पश्चात् दुग्ध स्नानं समर्पयामि कहते हुए दूध से छींटे दें। स्नान हेतु पंचामृत स्वीकार करें, कहते हुए पंचामृत के छींटे दें, स्नान हेतु शुद्ध जल स्वीकार करें, कहते हुए जल के छींटे दें। वस्त्र स्वीकार करें, कहते हुए मौली चढ़ाएँ। गंध स्वीकार करें, कहते हुए रोली चढ़ाएँ। अक्षत स्वीकार करें, कहते हुए चावल चढ़ाएँ। पुष्प स्वीकार करें, कहते हुए पुष्प चढ़ाएँ। धूप स्वीकार करें, कहते हुए धूप करें। दीपज्योति का दर्शन करें, कहते हुए दीपक दिखाएँ। मिष्ठान स्वीकार करें, कहते हुए प्रसाद या गुड़ चढ़ाएँ। आचमन हेतु जल स्वीकार करें, कहते हुए जल के छींटे दें। मुख शुद्धि हेतु पान स्वीकार करें, कहते हुए पान-सुपारी चढ़ाएँ। ऋतुफल स्वीकार करें, कहते हुए ऋतुफल चढ़ाएँ। दक्षिणा स्वीकार करें, कहते हुए नकदी चढ़ाएँ।

अब हाथ जोड़कर नमस्कार करते हुए उच्चारण करें, विष्णुप्रिया सागर सुता जन जीवन आधार। गेह वास मेरे करो नमस्कार शत बार।। इसके पश्चात् श्रीसूक्त का पाठ अपनी श्रद्धानुसार करें। पाठ के उपरांत श्री गणेश एवं लक्ष्मी जी से अपनी इच्छित मनोकामना पूर्ण करने का आशीर्वाद मांगें, कमलगट्टे से लक्ष्मी मंत्रों द्वारा हवन करें, घर में सुख-समृद्धि का वास होगा। लेखक के बारे में गुंजन वार्ष्णेय गुंजन वार्ष्णेय, एक अनुभवी शिक्षिका, सॉफ्ट स्किल ट्रेनर, मोटिवेश्नल लाइफ कोच हैं। इन्होंने विज्ञान से स्नातक तथा ज्योतिष, मनोविज्ञान एवं अंग्रजी साहित्य में परास्नातक की उपाधि प्राप्त की है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में सॉफ्ट स्क्लि ट्रेनर के पद पर कार्यरत हैं। इन्होंने पर्सनैलिटी डेवलेपमेंट तथा भाषा ज्ञान पर विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन किया है जिसमें अनगिनत विद्यार्थी लाभान्वित हुए। ज्योतिषाचार्य गुंजन वार्ष्णेय प्रयागराज की एक प्रतिष्ठित महिला ज्योतिषी जिनके आलेख विगत 17 वर्षों से विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहे हैं, साथ ही कई न्यूज चौनलों के माध्यम से इनके इन्टरव्यू, राशिफल, भविष्यवाणी आदि दर्शकों तक पहुंचते हैं। इन्हें ज्योतिष राष्ट्रीय सम्मेलन में ज्योतिष रत्न श्री की उपाधि से सम्मानित किया गया है।

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