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धर्म तत्व ज्ञान के बिना आत्म कल्याण का मार्ग नहीं मिलता है - साध्वी सत्व रेखाश्रीजी श्रीजी मसा, महावीर जिनालय में साध्वी सोम्यरेखा की निश्रा में धर्म आगम पर्व तप साधना प्रवाहित

Neemuch headlines October 15, 2024, 6:05 pm Technology

नीमच । आत्म कल्याण के लिए धर्म का ज्ञान होना भी आवश्यक है। इस बात को हमें समझना होगा और धर्म ग्रंथो का अध्ययन करना होगा। धर्म ग्रंथ को हम यदि निरंतर याद करते हैं तो इससे भी हमारा पुण्य बढ़ता है और पाप घट जाता है।

धर्म तत्व ज्ञान के बिना आत्मकल्याण का मार्ग नहीं मिलता है। यह बात साध्वी सोम्यरेखा जी महाराज साहब की सुशिष्या साध्वी सत्व रेखाश्रीजी श्रीजी मसा ने कही। वे जैन श्वेतांबर महावीर जिनालय ट्रस्ट विकास नगर श्री संघ के तत्वाधान में श्री महावीर जिनालय आराधना भवन नीमच में धर्म आगम पर्व के उपलक्ष्य मेंआयोजित धर्म सभा में बोल रही थी।

उन्होंने कहा कि ज्ञान के भेद 51, मुनी ज्ञान 28, अवधि 6 होती है।. मन पर्याय ज्ञान 2 होता है, केवल ज्ञान 1 होता है मती ज्ञान 5 प्रकार के होते हैं कर्मिक विकास और परिवार की बुद्धि के साथ धर्म का अध्ययन करें तभी आत्मा का कल्याण हो सकता है। धर्म ग्रंथ की गाथा को निरंतर याद करने से पाप कर्म का नाश होता है, धर्म ग्रंथ को निरंतर पढ़ते रहने से केवल ज्ञान हो जाता है। ज्ञान की आराधना जितनी भी देर करें पाप कर्म की आराधना नहीं होती है। इसीलिए आत्म कल्याण का ज्ञान मिल जाता है। जितने समय हम ज्ञान आराधना करते हैं उतने समय पाप कर्म से बच सकते हैं।

इस वर्षावास में सागर समुदाय वर्तिनी सरल स्वभावी दीर्घ संयमी प.पू. शील रेखा श्री जी म.सा. की सुशिष्या प.पू. सौम्य रेखा श्री जी मसा, प.पू. सूचिता श्री जी म सा, प.पू. सत्वरेखा श्री जी म साआदि ठाणा 3 का चातुर्मासिक तपस्या उपवास जप व विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ प्रारंभ हो गया है। श्री संघ अध्यक्ष राकेश आंचलिया जैन, सचिव राजेंद्र बंबोरिया ने बताया कि प्रतिदिन 9 बजे चातुर्मास में धार्मिक विषयों पर विशेष अमृत प्रवचन श्रृंखला का आयोजन हो रहा है । समस्त समाज जनअधिक से अधिक संख्या में पधार कर धर्म लाभ लेवें एवं जिन शासन की शोभा बढ़ावे।

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