नीमच । प्रत्येक मनुष्य अपने पाप कर्मों का क्षय करना चाहता है लेकिन वह समर्पण परमार्थ कीभक्ति के प्रति सावधान नहीं रहता है। यदि हम समर्पण भक्ति करते हुए आगे बढ़े तो जीवन में हमारी आत्मा का भी कल्याण हो सकता है। श्रद्धा और विश्वास के बिना भक्ति का फल नहीं मिलता है।
यह बात साध्वी सोम्यरेखा श्री जी महाराज साहब की सुशिष्या साध्वी सत्व रेखाश्रीजी मसा ने कही। वे जैन श्वेतांबर महावीर जिनालय ट्रस्ट विकास नगर श्री संघ के तत्वाधान में श्री महावीर जिनालय आराधना भवन नीमच में धर्म आगम पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित धर्म सभा में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि परिश्रम और पुरुषार्थ करते हैं तो सभी हमें नमन कर सकते हैं। विवाह के बाद बच्चों और परिवार के साथ संसार बढ़ता है। धर्म काम होता है इस बात से हमें बचाना होगा और धर्म के प्रति श्रद्धा और विश्वास बढ़ाना होगा तभी हमारी आत्मा का कल्याण हो सकता है। उनके माध्यम से ही परमात्मा ने भक्ति का तीर्थंकर पद को प्राप्त किया था गौतम स्वामी महाराज ने विश्वास व श्रद्धा रखी तो गुरु गुरु के ज्ञान को और पाया और मोक्ष को प्राप्त किया सम्यक दर्शन, सुदर्शन, सत्य दर्शन, ममत्व स्वरूप, स्नेह दर्शन आदि पांच प्रकार के होते हैं।
नवपद की आराधना करते हुए अपने श्रद्धा और विश्वास को अधिक बनाए रखा तो उसका कोड़ी रोगी पति भी स्वस्थ हो गया था प्रभु आज्ञा का पहला नाम कर तो हमारे जीवन का भी कल्याण हो सकता है। इस वर्षावास में सागर समुदाय वर्तिनी सरल स्वभावी दीर्घ संयमी प.पू. शील रेखा श्री जी म.सा. की सुशिष्या प.पू. सौम्य रेखा श्री जी म सा, प.पू. सूचिता श्री जी म सा, प.पू.सत्वरेखा श्री जी म साआदि ठाणा 3 का चातुर्मासिक तपस्या उपवास जप व विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ प्रारंभ हो गया है। श्री संघ अध्यक्ष राकेश आंचलिया जैन, सचिव राजेंद्र बंबोरिया ने बताया कि प्रतिदिन 9 बजे चातुर्मास में धार्मिक विषयों पर विशेष अमृत प्रवचन श्रृंखला का आयोजन हो रहा है।
समस्त समाज जनअधिक से अधिक संख्या में पधार कर धर्म लाभ लेवें एवं जिन शासन की शोभा बढ़ावे।