झांतला। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने ग्राम स्वराज की कल्पना की थी और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने 2 अक्टू सेबर 1959 को नागौर में पंचायती राज व्यवस्था का उद्घाटन किया था. देश में सबसे पहले मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने 1994-95 में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का गठन किया, जिसके परिपालन के लिए गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया जिससे पंचायतों को शक्तियां प्राप्त हुई. महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सपनों को वर्तमान भाजपा सरकार तहस-नहस करने का जो प्रयास कर रही है।
उसके विरुद्ध जावद विधानसभा जिला नीमच की ग्राम पंचायत डोरई में गोविंद सिंह साण्डा व कन्हैयालाल मेघवाल, देहपुर पंचायत में जनपद सदस्य व पूर्व सरपंच गोपाल धाकड़, नानालाल चारण, सरवन गुर्जर, भंवरलाल जटिया, झांतला पंचायत में जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष राजेश शर्मा, मानक जैन, मोहनलाल धाकड़, बद्री लाल मेघवंशी धारड़ी पंचायत मे जनप्रतिनिधि व कार्यकर्ताओं ने एवं अनेक पंचायतों में ज्ञापन देकर मांग की है कि 1994-95 में पारित मध्य प्रदेश सरकार की गजट नोटिफिकेशन में दिए गए प्रावधानों को पुनः लागू किया जाए जिससे ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत एक अलग प्रशासनिक इकाई बन सके। ज्ञापन के माध्यम से 20 सूत्री मांगे रखी गई। जिसमें मांग की गई है कि मनरेगा को मूल रूप में ले जाने के लिए आर्थिक भुगतान की पारदर्शिका एवं मजबूत व्यवस्था स्थापित करें ताकि सरपंच ग्रामीण अधोसंरचना के छोटे-मोटे कार्य स्वतंत्र रूप से कर सके व पशु शेड, मुर्गी शेड बकरी शेड सूअर पालन शेड के निर्माण कराया जा सके ताकि ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था मजबूत हो. पंचायत को ₹ 25 लख रुपए के अधिकार दिए गए लेकिन तकनीकी स्वीकृति जिला स्तर में परेशानी होती है इसलिए इस जनपद पंचायत स्तर पर ही किया जावे और प्रशासनिक स्वीकृति का सरलीकरण किया जाये।
ग्राम पंचायत विकास निधि गठित कर सरपंच निधि बनाई जाए, उसे मद में राशि एक लाख रुपये प्रतिवर्ष पंचायत को दी जावे, ताकि प्राकृतिक आपदा एवं किसी भी अत्यंत आवश्यक स्थिति में तत्काल आर्थिक सहयोग हो सके. सरकारी कर्मचारियों की तरह सरपंच एवं पंचों का 20 लाख रुपए का जीवन बीमा एवं न्यूनतम पेंशन ₹ 2000 की जावे. 15 वीं वित राशि की डी.पी.आर. एक बार बनाकर उपन्यत्री, सहायक उपयंत्री के हस्ताक्षर होने पर इसे ही टी.एस.माना जाए. मूल्यांकन सरपंच, सचिव, सहसचिव, वार्ड पंच, एवं चार अन्य पंचों के हस्ताक्षर से मूल्यांकन करवा लिया जाए और लैब रिपोर्ट सलंग्न कर कार्य का पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किया जाए. ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40 के अंतर्गत सरपंच को नोटिस मनरेगा के कार्यों में ना दिया जावे, नोटिस देने के अधिकार सिर्फ कलेक्टर को होना चाहिए, पद से पृथक करने का अधिकार राज्यपाल महोदय के अनुमोदन से किया जाए क्योंकि सरपंच जनता द्वारा चुनाव हुआ जनप्रतिनिधि है. ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 22 के अंतर्गत जनपद पंचायत में बैठक रोस्टर के हिसाब से सरपंचों को नहीं बुलाया जाता है इस पर सभी जनपदों को आदेशित किया जाए. रोजगार सहायक व सचिव की सी.आर. लिखने का अधिकार सरपंच को होना चाहिए वेतन व अवकाश के अधिकार पूर्ण रूप से ग्राम पंचायत को दिया जाना चाहिए। पंचायत में अधिकतम कार्यों की सीमा 20 को हटाया जाए. सीएम हेल्पलाइन पर झूठी शिकायत करने पर शिकायतकर्ता पर FIR दर्ज होनी चाहिए। प्रधानमंत्री आवास व मुख्यमंत्री आवास प्रत्येक पंचायत में दिया जाए. ।
सरपंच का मानदेय ₹ 15000 प्रतिमाह व उपसरपंच का मानदेय प्रतिमाह ₹ 3000 किया जाए. सरपंचों के विरुद्ध अपशब्द व जेल भेजने की धमकी देने वाले बयान जो की मंत्री गौतम टेटवाल (राज्य मंत्री कौशल विकास एवं रोजगार) ने दिए थे उनको तत्काल प्रभाव से मंत्री पद से इस्तीफा लिया जाए। रतनगढ़ ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह साण्डा ने बताया कि अगर मध्य प्रदेश शासन हमारे ज्ञापनों पर न्यायोचित विचार नहीं करता है तो मजबूरन हमें लोकतांत्रिक तरीके से हमारी मांगों के लिए सड़कों पर उतरना पड़ेगा।