लाभ के बजाए तीन गुना घाटे की खेती सिद्ध हो रही है, नहीं हुआ अभी तक नुकसान का सर्वे,

दशरथ माली September 30, 2024, 3:53 pm Technology

चीताखेडा । बोवनी के प्रारंभ में ही बरसात की शुरुआत अच्छी रही लेकिन बाद में जब फसलों को आवश्यकता थी तब लंबी खेंच हो गई और जब खुले आसमान की जरूरत थी तब अतिवृष्टि शुरू हो गई जिसके सोयाबीन फसलें असफल एवं इल्लियों ने आक्रमण कर दिया तो वहीं पीला मोजेक वायरस ने फसलों को चपेट में ले लिया।

किसान रो रहा है खून के आंसू, अब तो सरकार से ही है कुछ राहत की उम्मीद। सोयाबीन की फसल बड़ा (पकने से पूर्व ही सुख) गई। डेढ़ से दो बोरी प्रति बीघा खेत में सोयाबीन की पैदावारी हो रही है, यह भी उपर वाले को रास नहीं आ रहा है मुंह आया बचा हुआ निवाला भी आफत की बारिश पूरी तरह से छीनने पर उतारू हैं। जब फसल की कटाई का समय आया तो फिर रही कसी कसर बैमौसम आफत की बारिश ने भीगो दिया। बारिश भी इस कदर हावी रही की खेतों में पानी भर गया जिससे कटी हुई फसलें पानी में डूब गई। जिससे सोयाबीन की फसल थोड़ी बहुत बची खुची अंकुरित होकर हो गई और सड गई तथा सोयाबीन का दाना काला पड़ गया। इन सभी बीमारी और बेमौसम बारिश से फसल के उत्पादन में वैसे भी पूर्व में ही 40 से 50 प्रतिशत ही हुआ।

बीमा और मुआवजा मिल जाए तो रबी सीजन की फसलों की बुवाई और दशहरा व दीपावली त्यौहार आराम से मन जाएं। खेतों में सोयाबीन की फसल की पैदावारी को देख किसान हेरान और आर्थिक व मानसिक रूप से परेशान हैं। लोकसभा एवं विधानसभा में बैठने वाले राजनितिक नेताओं के लिए भले ही खेती की आय दोगुनी है परंतु किसानों के लिए तो तीन गुनी घाटे की खेती सिद्ध हो रही हैं। सोयाबीन का उत्पादन देख के राजेश जैन ने बताया कि मैंने अपने 7 बीघा खेत में सोयाबीन की फसल बोई थी गुरुवार को थ्रेशर मशीन से उपज निकलवाई तो 7 बौघा में 10 बोरी सोयाबीन निकाली जिसका कुल वजन 9 किवंटल निकला। इस लिहाज से प्रति एक बीघा खेत में डेढ़ बोरी सोयाबीन का उत्पादन हुआ। किसान के अनुसार 7 बीघा खेत में डेढ़ क्विंटल बीजर 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल बुवाई की समय पर बरसात नहीं होने से नष्ट हो गई, दुबारा बोवनी करी ।

सोयाबीन के 4 क्विंटल बीज के 20 हजार रुपए, खेत में 2 बैग डीएपी खाद के 5400 रुपए, दो बार पीला मोजेक और ईल्ली के प्रकोप को रोकने हेतु कीटनाशक की दवाई का छिड़काव 4 हजार 500 रुपए, कुरपाई 5 हजार 800 रुपए, फसल निंदाई-गुडाई 40 मजदुरों के 12 हजार रुपए, बीज की बुआई भाड़े के 2 हजार रुपए, थ्रेशर मशीन वाले ने प्रति घंटे के एक हजार 200 रुपए के मान से 4 घंटे के 4 हजार 400 रुपए, फसल कटाई के 40 मजदूर 350 रुपए प्रति मजदुर के कुल मजदूरों के 14 हजार रुपए इस तरह हकाई जुताई के 4 हजार 800 रुपए आदि अन्य कार्य से लेकर कुल खर्च 70 हजार रुपए हुए और खेत में पैदावारी की आय 52 हजार रुपए हुईं। इस मान से किसान को 7 बीघा खेत में 18 हजार रुपए कुल नुकसान वहन करना पड़ा। बताया है कि सोयाबीन कम मात्रा में पैदावारी हुई है फसल की खराब पैदावारी के कारण किसान अब सरकार और बीमा कंपनी से मदद की उम्मीद लगाए बैठा है।

अगर शीघ्र ही बीमा कंपनी और सरकार की तरफ से आर्थिक मदद मिल जाए तो रबी की फसल की बुवाई हो जाए तो दशहरा और दीपावली का त्यौहार आराम से मन जाए।

Related Post