नीमच । ब्रह्मचर्य सिर्फ शारीरिक या बाहरी संयम तक सीमित नहीं है इसका सच्चा अर्थ आत्मा के दिव्य स्वरूप में ध्यान और ध्यान केंद्रित करना है। ब्रह्मचर्य को बहत सरल शब्दों में समझना चाहे तो यह कह सकते हैं कि जो परिवार और समाज के संस्कार और संस्कृति को अपना लेगा वही ब्रह्मचर्य धर्म का निर्माण कर सकता है।
आत्मा ही ब्रह्म है उसे ब्रह्मा स्वरूप आत्मा में चर्या करना ही ब्रह्मचर्य है। इसके पालन से रोग नहीं होते हैं। क्योंकि ऐसे व्यक्ति को बाहर का कोई दुख सुख नहीं दिखता। यह बात वैराग्य सागर जी महाराज साहब ने कही। वे पार्श्वनाथ दिगंबर जैन समाज नीमच द्वारा दिगम्बर जैन मांगलिक भवन सभागार में परम पूज्य चक्रवर्ती 108 शांति सागर जी महामुनि राज के पदारोहण शताब्दी वर्ष एव पर्युषण पर्व के उपलक्ष्य में धार्मिक आवासीय संस्कार प्रशिक्षण शिविर के मध्य आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे । उन्होंने कहा कि ब्रह्मचर्य के लिए नियमित साधना जरूरी है आंतरिक शांति और आत्मज्ञान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है जो इच्छाओं पर नियंत्रण महत्वपूर्ण है यह आत्मिक उन्नति में मदद करता है ब्रह्मचर्य के अभ्यास में विचार व भावना पर नियंत्रण शामिल है मानसिक शांति में मदद करता है। भौतिक आकर्षण से दूर रहने और आत्मिक शुद्धता पर ध्यान की प्रेरणा देता है।
ज्ञान वैराग्य के के द्वारा पांच इंद्रियों को नियंत्रित करना चाहिए नरक में स्त्री पुरुष का भेद नहीं होता है। वहां सभी नपुंसक के रूप में रहते हैं। काम का अंधा व्यक्ति अपने पक्ष को भूल जाता है। फिल्म अभिनेता और अभिनेत्री को देखकर युवा वर्ग अपनी दिशा से भटक रहा है। भारतीय संस्कृति कम होने के कारण पश्चिमी संस्कृति बढ़ने के कारण अत्याचार अनाचार बढ़ रहा है चिंतन का विषय है हमें साधु-संतो महापुरुषों के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेना चाहिए फिल्म अभिनेता या अभिनेत्री से प्रेरणा नहीं लेना चाहिए हमारी आत्मा का कल्याण हो सकता है।
इस अवसर पर नीमच विधानसभा क्षेत्र के क्षेत्रीय विधायक दिलीप सिंह परिहार, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रघुराज सिंह चौरडिया, पायलेट बाबा आश्रम के योगीराज रंजन स्वामी, पारस जैन कोलकाता वाला, दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष विजय विनायका जैन ब्रोकर्स, धर्म सभा में पहुंचे और उन्होंने मुनी सुप्रभ सागर जी एवं वैराग्य सागर जी महाराज को श्रीफल अर्पित कर आशीर्वाद ग्रहण किया।
विधायक परिहार ने कहा कि साधु संतों के मार्गदर्शन में समाज विकास के नए आयाम स्थापित करेगा। राज्य सरकार से जब भी समाज को किसी भी क्षेत्र में आवश्यकता होगी तो सरकार सहयोग दिलाने का पूरा प्रयास करेंगे। दिगंबर जैन समाज व चातुर्मास समिति अध्यक्ष विजय विनायका, जैन ब्रोकर्स, मीडिया प्रभारी अमन विनायका ने बताया कि पर्यूषण पर्व के उपलक्ष्य में भजन, योग, एकाग्रता, संस्कार, पूजा पद्धति की विधि तप उपवास की विधि और सावधानियां प्रशिक्षण शिविर सहित विभिन्न धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों किये जा रहे है मुनि सुप्रभ सागर जी मसा ने कहा कि ब्रह्मचर्य के पालन से आत्म नियंत्रण का उच्च स्तर मिलता है। यह आत्मा की वास्तविकता समझने में सक्षम है। संयम से व्यक्ति अपनी उर्जा अपने में संचित करता है इसे आध्यात्मिक मानसिक विकास में काम ले सकते हैं।
ब्रह्मचर्य का अभ्यास सामाजिक व नैतिक जिम्मेदारी समझने और पालन करने में सहायक होता है। यह नैतिकता का एहसास कराता है, 10 लक्षण पर्व का दसवां और आखिरी दिन ब्रह्मचर्य धर्म के रूप में मनाया जाता है। आहार शुद्ध नहीं होने तथा कपड़ों का फैशन बदलने के कारण महिलाओं बालिकाओं के साथ अत्याचार बढ़ रहे हैं।