नीमच । गावो यज्ञस्य हि फलं गोषु यज्ञाः प्रतिष्ठिताः गौघृत से ही यज्ञ सम्पन्न होते हैं। गाय ही यज्ञ के फलों का कारण है, और गायों में ही यज्ञ की प्रतिष्ठा है। और ऐसी गाय जब दुध देना बंद कर दे उसको को हम या तो खुले रोड़ पर कचरा खाने और दुष्टों के द्वारा प्रताड़ित होने के लिए छोड़ देते हैं या फिर उन हाथों में चंद विष्ठा रूपी सिक्कों के लिए बेच देते हैं जहां उसे भयंकर प्रताड़ना देकर उनका वध कर दिया जाता है। ध्यान रखें सनातन धर्म बिना गाय के कथमऽपि संभव नहीं है। इसे संरक्षित सुरक्षित करना हमारा अधिकार हीं नहीं अपितु दायित्व भी है। जिन निराश्रित गोवंश को अलग अलग गोशालाओं में आश्रय मिलता है उन गोशालाओं में प्रत्येक एकादशी एवं प्रमुख पर्वों पर राष्ट्रीय गौसेवा संघ भारत के गोकथा प्रवक्ता एवं प्रचारक दशरथानंद सरस्वती के मार्ग दर्शन में गो प्रसादम् परिवार की ओर से विभिन्न प्रकार की सेवा की जाती है उसी कड़ी में भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी मंगलवार दिनांक 17 सितंबर को श्री हरि गोशाला गिरदौड़ा मप्र (जो नीमच से मनासा रोड़ पर स्थित है) में गोवंश को सायं 4 बजे लापसी प्रसाद का भोग लगाया जाएगा।
इस दिन अनंत चतुर्दशी और श्राद्ध की पूर्णिमा एवं मंगलवार का अद्भुत संयोग प्राप्त हुआ है जिसका भरपूर पुण्य लाभ अर्जित करने का सुअवसर प्राप्त हो रहा है। इस पुनीत कार्य में आप तन से वहां उपस्थित रहकर अपने हाथों से गो सेवा कर सकते हैं, मन से अन्य गो भक्तों को यहां के लिए अथवा कहीं भी किसी भी गोशाला में गो सेवा करने की प्रेरणा दे सकते हैं अथवा धन से आर्थिक सहयोग यहां भी कर सकते हैं अथवा आपके नजदीकी किसी भी गोशाला में जाकर कर सकते हैं।