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धार्मिक संस्कार शिविर का अभिनव आयोजन, 10 दिन तक संसारी लोग त्यागी जीवन का पालन कर रहे हैंवैराग्य सागर जी महाराज, दिगम्बर जैन

Neemuch headlines September 9, 2024, 5:05 pm Technology

नीमच । दिगंबर जैन संत मुनी सुप्रभ सागर जी व वैराग्य सागर जी महाराज की पावन निश्रा व पर्यूषण पर्व के पावन उपलक्ष्य में दिगम्बर जैन समाज नीमच द्वारा दिगंबर जैन मांगलिक भवन में 10 दिवसीय धार्मिक संस्कार शिविर का आयोजन किया जा रहा है ।

जिसमें संसार के लोग जो घर परिवार व्यापार नोकरी को छोड़कर 10 दिन तक दिगंबर जैन मांगलिक भवन में ही आवासीय प्रशिक्षण शिविर में त्यागी साधु संत की तरह जीवन जी रहे हैं। यह अपने आप में एक अभिनव प्रयोग है। जिसमें 75 से अधिक समाज जन दो जोड़ी कपड़ों में 10 दिन तक सारे परिग्रह का त्याग रखेंगे।

शिविर में उपस्थित समाज जनों को संबोधित करते हुए वैराग्य सागर जी महाराज साहब ने कहा कि जीवन मे यदि सफलता के शिखर की और आगे बढ़ना है तो विनम्रता को जीवन में आत्मसात करना होगा। अहंकार व कठोरता का त्याग करना चाहिए तभी हम आत्मा का कल्याण कर सकते हैं। जो जीवन में झुकते हैं वही सफलता को प्राप्त करते हैं। जो अकड़ते हैं वह तो मुर्दे के समान हो जाते हैं।

इसलिए जीवन में सदैव विनम्र होकर आगे बढ़ना चाहिए तभी आत्म कल्याण का मार्ग सफलतापूर्वक मोक्ष को दिलाता है। दिगंबर जैन चातुर्मास समिति संरक्षक संजय गुड्डू जैन ब्रदर्स, मीडिया प्रभारी अमन विनायका ने बताया कि पर्यूषण पर्व के उपलक्ष्य में विभिन्न धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों आयोजित किये जा रहे है। संस्कार प्रशिक्षण शिविर में अभिषेक की विधि को तकनीकी रूप से भी समझाइश दी जा रही है जिससे कि सभी समाज जन अपनी आत्मा को पवित्रता के साथ निर्मल बना सके।

मुनि सुप्रभ सागर जी मुसा ने उत्तम आर्जव धर्म के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उत्तम मार्दव शांति धारा अभिषेक जीवन में पुण्य फल देता है अहंकार की कर का पतन निश्चित है संसार में व्यक्ति का एक बार वाहन दुर्घटना से बचना संभव है लेकिन अहंकार की कार दुर्घटना में बचना सम्भव नहीं है। दुर्गति और विनाश तय होता है। मान और क्रोध समाप्त होते ही सम्यक तत्व की प्राप्ति हो जाती है। रावण ने अहंकार के कारण ही सबके समझाने के बावजूद भी सीता जी को वापस नहीं दिया इस अहंकार के कारण अपनी जान तक गवा दी थी। गुरु के चरण वंदना के लिए आमंत्रण की आवश्यकता नहीं होती है वहां तो बिना बुलाए ही जाना चाहिए आशीर्वाद ही मिलेगा। गम्भीरता विनम्रता विनयवान को दर्शाती है। तराजू के पलडे में जिधर वजन ज्यादा होता है। वह नीचे की ओर जाता है। तराजू का पलड़ा जिधर वजन कम होता है और वह हल्का होता है वह सफलता के शिखर की ओर अग्रसर होता है।

इसलिए हमें हल्का विनम्र विनम्र बनना चाहिए अंहकारी भारी नहीं। इस अवसर पर भजन गायक कलाकार सोनू ने विभिन्न भजन प्रस्तुत कर धार्मिक अभिषेक भी करवाया और प्रशिक्षण में सहभागिता निभाई। परम पूज्य चारित्र चक्रवर्ती 108 शांति सागर जी महामुनि राज के पदारोहण के शताब्दी वर्ष मे परम पूज्य मुनि 108 श्री वैराग्य सागर जी महाराज एवं परम पूज्य मुनि 108 श्री सुप्रभ सागर जी महाराज जी का पावन सानिध्य मिला।

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