देश के 12वें ज्योतिर्लिंग के रूप में माने जाने वाले शिवाड़ में उमड़े शिवभक्त

Neemuch headlines March 8, 2024, 3:46 pm Technology

घुश्मेश्वर मंदिर 900 वर्ष पुराना बताया जाता है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्व प्राकट्य है। बताया जाता है घुस्मा की तपस्या से भगवान का प्राक्ट्य हुआ। शिवलिंग को पाताल से जुड़ा हुआ माना जाता है। वेदों और उपनिषदों में भी शिवाड़ घुश्मेश्वर वर्णित है। महर्षि वेदव्यास ने भी उपनिषद में इस मंदिर का वर्णन किया है।

सवाई माधोपुर : जिले के शिवाड़ कस्बे स्थित घुश्मेश्वर महादेव मंदिर को देश के 12वें ज्योतिर्लिंग के रुप मे जाना जाता है। गुरुवार से घुश्मेश्वर महादेव मंदिर पर सावन महोत्सव की विधिवत रूप से शुरुआत कर दी गई। सैकड़ों की तादाद में श्रद्धालुओं ने मंदिर में दर्शन किए और अपनी मनचाही मुराद मांगी।

घुश्मेश्वर का इतिहास:-

घुश्मेश्वर की बात की जाए तो देवगिरी पर्वत के पास सुधर्मा नामक ब्राह्मण रहते थे। उनकी पत्नी थी सुदेहा। लेकिन, संतान सुख से वंचित रहने के कारण उन्हें लोगों के व्यंग्य बाण सुनने पड़ते थे। इससे व्यथित होकर सुदेहा ने अपनी छोटी बहन घुष्मा का विवाह सुधर्मा के साथ करवाया। घुष्मा भगवान शंकर की अनन्य भक्त थी। कुछ समय पश्चात घुष्मा को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। सुधर्मा को लगा कि पुत्र मोह के कारण घुष्मा का बहन के प्रति प्रेम कम होता जा रहा है। सुधर्मा ने घुष्मा के पुत्र की हत्या कर शव सरोवर में फेंक दिया। दुखी घूस्मा ने शिव की तपस्या की और आकाशवाणी से पता लगा कि बहन सुदेहा ने ही हत्या की है। भगवान शिव ने सुदेहा को ख़त्म करने की बात की तो घुष्मा ने कहा कि नहीं प्रभु आप केवल उसकी बुद्धि सही कर दें। इस पर भगवान प्रसन्न हुए और कहा कि आज से मैं तुम्हारे नाम से इसी स्थान पर वास करूँगा।

यह मंदिर 900 वर्ष पुराना:-

घुश्मेश्वर मंदिर का इतिहास अद्भुत है। यह मंदिर 900 वर्ष पुराना बताया जाता है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्व प्राकट्य है। बताया जाता है घुस्मा की तपस्या से भगवान का प्राक्ट्य हुआ। शिवलिंग को पाताल से जुड़ा हुआ माना जाता है। वेदों और उपनिषदों में भी शिवाड़ घुश्मेश्वर वर्णित है। महर्षि वेदव्यास ने भी उपनिषद में इस मंदिर का वर्णन किया है। इस मंदिर में देवगिरि पर्वत भी लोगों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र है। पहाड़ पर स्थित देवगिरि पर्वत को मंदिर ट्रस्ट ने विकसित कर विशेष आकर्षण का केन्द्र बनाया है। विभिन्न देवी-देवताओं की बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं देवगिरि पर्वत पर स्थापित की है। मंदिर के प्रति लोगों की विशेष आस्थाएं जुड़ी हुई हैं।

सावन महोत्सव के दौरान लाखों की तादाद में श्रद्धालु अपनी हाजिरी मंदिर में लगाते हैं। लोगों का मानना है कि जिस किसी ने सच्चे मन से भगवान शिव के दरबार में अपनी हाजिरी लगाई फ़िर उसकी झोली कभी खाली नहीं रही।

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