Latest News

Aditya L1 अपने लक्ष्य तक पहुंचा, हेलो ऑर्बिट में स्थापित हुआ सूर्य यान

Neemuch headlines January 6, 2024, 5:30 pm Technology

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का देश का पहला अंतरिक्ष- आधारित सौर मिशन 'आदित्य एल1' शनिवार को अपने गंतव्य तक पहुंच गया है। अब यह हेलो ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा। इस पॉइंट से 24 घंटे सूर्य पर नजर रखी जा सकेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसरो की सफलता की सराहना करते हुए कहा कि भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की है। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल 1 अपने गंतव्य तक पहुंची। यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। हम मानवता के भले के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे। इसरो अधिकारियों के अनुसार, अंतरिक्ष यान पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के 'लैग्रेज प्वॉइंट-1 (एल 1) के आसपास एक 'हेलो' कक्षा में पहुंचा है। एल 1 पाइंट पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग 1 प्रतिशत है। 'लैग्रेज पाइंट' वह क्षेत्र है, जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाएगा। हेलो कक्षा, एल 1, एल 2 या एल 3 लैग्रेज प्वॉइंट में से एक के पास एक आवधिक, त्रि-आयामी कक्षा है। 'एल1 पाइंट' के चारों ओर 'हेलो' कक्षा में उपग्रह से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है। इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अवलोकन करने में अधिक लाभ मिलेगा। इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV-C57) ने 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे प्रक्षेपण केंद्र से आदित्य-एल1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष यान विभिन्न चरणों से होकर गुजरा और पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से बचकर सूर्य-पृथ्वी 'लैग्रेज प्वॉइंट 1' (एल 1) की ओर बढ़ गया। 'आदित्य एल1' को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर 'एल1' (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिजाइन किया गया है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या 'कोरोनल मास इजेक्शन' (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है। क्या होता है L1 यानी लैग्रेज प्वाइंट इस मिशन में बार बार लैग्रेज प्वाइंट शब्द आ रहा है। इसके साथ ही एल शब्द के बारे में लोग जानना चाहते हैं। ऐसे में आपको बता दें कि अंतरिक्ष में मौजूद ऐसी जगह है जो पृथ्वी और सूरज के बीच सीधी रेखा में है। यह बिंदु धरती से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। बता दें कि सूर्य की अपनी गुरुत्वाकर्षण शक्ति है, तो वहीं पृथ्वी की अपनी। अंतरिक्ष में जहां पर पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का असर खत्म होता है और सूरज की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का असर शुरू होता है, इसी पॉइंट को लेग्रेंज पॉइंट कहा जाता है। मिशन आदित्य -L1 को इसी पॉइंट पर तैनात किया जाएगा।

Related Post