अपनी संभावनाओं को जाने हर आत्मा में परमात्मा प्रवर्तक श्री - विजयमुनिजी म. सा.

Neemuch headlines October 31, 2023, 5:17 pm Technology

नीमच । प्रमाद अज्ञान और मोह को नहीं समझने के कारण ही सब 84 में घूम रहे हैं हम सब अपनी संभावनाओं को जाने हर आत्मा में परमात्मा छुपा हुआ है। मानव भव में कहां से आया और आगे कहाँ मंजिल, इन दोनों बातों पर ही हमारा सारा दर्शन टिका हुआ है । संसार में व्यक्ति ज्ञान तो बहुत पाता है लेकिन स्वंय को भूल जाता है। यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. ने कही। वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन में आयोजित चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि क्रोध में लिया गया निर्णय जीता हुआ युद्ध पराजित करवा देता है। धन दौलत के लालच में आकर किसी को धोखा देना अनुचित है। धोखाधडी करने से पाप बढ़ता है और पुण्य घटता है। सदैव धोखाधड़ी से बचना चाहिए और नित्य ईमानदारी से लेनदेन करना चाहिए। अपराध की गलती पर प्रायश्चित करना चाहिए। यदि गलती की भूल होने पर सच्चाई के साथ प्रायश्चित करें तो जाति स्मरण धर्म का ज्ञान हो जाता है। प्राचीन पुरातन चरित्र के अनुसार ही नव पद की रचना ऋषि मुनियों ने की है जो गुरु को समर्पित करते हैं।

बड़ों का उपकार माने तो कृतज्ञता होती है। बड़े बुजुर्गों का आदर किए बिना जीवन का कल्याण नहीं होता है। सच्चे मन से नवपद की आराधना करें तो पाप कर्मों की निर्जरा होती है। नवपद ओली जी की आराधना मुक्ति का साधन है। जब तक शरीर में प्राण रहे जीवन पर्यंत तब तक नव पद आराधना की साधना की तपस्या करनी चाहिए तपस्या उपवास के साथ नवकार महामंत्र भक्तामर पाठ वाचन शांति जाप एवं तप की आराधना भी हुई। सभी समाजजन उत्साह के साथ भाग लेकर तपस्या के साथ अपने आत्म कल्याण का मार्ग प्राप्त कर रहे हैं। चतुर्विद संघ की उपस्थिति में चतुर्मास काल तपस्या साधना निरंतर प्रवाहित हो रही है। इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने सामूहिक अनुमोदना की।

धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा, अभिजीतमुनिजी म. सा., अरिहंतमुनिजी म. सा. ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि ठाणा का सानिध्य मिला। चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया। धर्म सभा का संचालन भंवरलाल देशलहरा ने किया।

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