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मैना सुंदरी से प्रेरणा लो, धर्म पर विश्वास रखो प्रवर्तकश्री विजयमुनिजी म. सा.

Neemuch headlines October 29, 2023, 6:56 pm Technology

नीमच । मानव को अपने तपस्या धर्म पर सच्ची श्रद्धा रखनी चाहिए तपस्या धर्म में जो बात कही गई है उन पर चलना चाहिए धार्मिक ग्रंथ केवल पुस्तकें नहीं है ज्ञान का भंडार है। हम जीवन में धर्म का सही अर्थ व स्वरूप समझे। मैयना सुंदरी का वरदान हमें प्रेरणा देता है कि हम धर्म तपस्या पर अधिक रहे चाहे इस मार्ग में कितनी चुनौतियां क्यों ना आये। यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. ने कही। वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन में आयोजित चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि मैयना सुंदरी के पिता प्रजापाल राजा को यह अहंकार था कि उनके परिवार को जो सुख समृद्धि मिली है यह केवल उनके कारण मिली हैं जबकि उनकी पुत्री मैयना सुंदरी का मत था कि यह सब पूर्व भव के पुण्य से मिला है इसी विषय पर दोनों के मतभेद हुए मैंयना सुंदरी के पिता प्रजापाल राजा ने मैयना सुंदरी का विवाह कुष्ठ रोगी से करने का विचार किया पिता से इस विषय पर मतभेद होने के पर भी मैयना सुंदरी धर्म का मार्ग नहीं छोड़ती है और उसके पिता उसका विवाह कुष्ठ रोगी से करने का विचार करते हैं लेकिन मैंयना सुन्दरी धर्म पर अडिग रहती है। प्रवर्तक श्री ने धर्म सभा में कहा कि हमें मैयना सुंदरी की कथा से प्रेरणा लेना चाहिए और धर्म पर अडिग रहना चाहिए तथा जो सत्य है उससे पीछे नहीं हटना चाहिए । मनुष्य के जैसे कर्म होंगे वैसा फल मिलेगा इसलिए अच्छे कर्म करने का प्रयास करें । सदैव पुण्य कर्म करो धर्म पर अडिग रहो सत्य व धर्म की खातिर त्याग करने के लिए सदैव तैयार रहो। प्रभु महावीर ने हमें जो धर्म की राह दिखाइ उसे समझो और जीवन का कल्याण करो। श्रीपाल चरित्र नवपद आराधना की साधनाके प्रति आस्था श्रद्धा भक्ति से ही सफलता मिलती है सिद्धि प्राप्त होती है नाव पर आराधना से सिद्धि सुख समृद्धि प्राप्त होती है तपस्या के प्रभाव से विश भी अमृत बन जाता है 64 कलाओं का ज्ञान सीखने को मिलता है।

क्या करने वाले कई लोग भाग्यशाली पुण्यवान होते हैं जिनके आने से खुशियां आ जाती त्रिलोक सुंदरी 64 कलाओं में प्रवीण ने विद्वान थी उन्होंने स्वयंवर कर निर्धन व्यक्ति से विवाह करने के रूप में चयन किया था श्रीपाल महावीर के सिद्धांत और पुरुषार्थ करते थे और उन्हें सिद्धि मिल सकती थी। श्रीपाल राजा को बड़े के रूप में सुंद्री के सामने पहुंचे। अभी उन्होंने श्रीपाल को कपड़े के रूप में भी चयन किया और विश्वास किया कि भाग्य में अच्छा होगा तो अच्छा ही मिलेगा और हुआ भी यही कोबरा श्रीपाल राजा निकलाजीवन में उतार चढ़ाव प्रत्येक प्राणी के जीवन में आते हैं तीर्थकर भी इससे बच नहीं पाए हैं विपत्ति विपरीत परिस्थितियों में भी जो धैर्य नहीं छोड़ता है वहसफलता प्राप्त करता है। और महान बन जाता है जो यश प्राप्त कर जीवन जीते हैं यश लेने वाले का जीवन महत्वपूर्ण होता है पुण्यशील आत्मा परिश्रमसत्कर्म करती है तो उसे पुण्य का फल मिलता हैस्वाध्याय बिना कर्मों की निर्जला नहीं होती है चरित्र का पतन नहीं होता है स्वाध्याय को मन में आत्मसात करें तो जीवन का कल्याण हो सकता है। साध्वी डॉक्टर विजय सुमन श्री जी महाराज साहब ने कहा कि जीवन और समय को सफल बनाना है तो हमें समय का नियमित पालन करना होगा। आबकारी करने के लिए समय नहीं छोड़ना चाहिए। गलत कार्य और पाप कर्म के पल को सदैव टालना चाहिए तभी जीवन सफल होता है। सम्यक तत्व की प्राप्ति होती है तो जीवन में आनंद की अनुभूति होती है। रावण के पास अनेक शक्तिशाली विद्याएं थी। अभी स्वर्ग तक सीढ़ियां नहीं बन सका। विद्या का निर्धारित समय रहता है सदुपयोग करो नहीं तो वह चली जाती है। नवपद ओली तप की आराधना प्रवाहित, प्रातः 9 बजे से नमोथुणम के जाप की तपस्या प्रारंभ हुई इसके अंतर्गत आयम्बिल तपस्या उपवास के साथ नवकार महामंत्र भक्तामर पाठ वाचन, शांति एवं तप की आराधना भी हुई।

सभी समाजजन उत्साह के साथ भाग लेकर तपस्या के साथ अपने आत्म कल्याण का मार्ग प्राप्त कर रहे हैं। जाप में उमड़े श्रद्धालु रविवार सुबह 9 से 10 बजे दिवाकर भवन सभागार में 1 घंटे तक नमोथानाम के जाप किए गए। विश्व कल्याण की प्रार्थना की गई । मसा. ने कहा कि अपने परिजनों के जन्मदिन के उपलक्ष्य में पुण्य परमार्थ के धार्मिक सेवा कार्य करना चाहिए। जाप के धर्म लाभार्थी भरत राजेंद्र जारोली परिवार थे। 52 भाग्यशाली विजेताओं के पुरस्कार ड्रा निकाल कर विजेता को प्रदान कर सम्मानित किया गया। चतुर्विद संघ की उपस्थिति में चतुर्मास काल तपस्या साधना निरंतर प्रवाहित हो रही है। इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने सामूहिक अनुमोदना की धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा, अभिजीतमुनिजी म. सा., अरिहंतमुनिजी म. सा. ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि ठाणा का सानिध्य मिला। चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया। धर्म सभा का संचालन भंवरलाल देशलहरा ने किया।

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