हिंदू पंचांग के अनुसार एक साल में 24 प्रदोष व्रत होते हैं और जिस साल अधिकमास होता है, उस वर्ष 26 प्रदोष व्रत आते हैं। जानें अक्टूबर महीने का
पहला प्रदोष व्रत कब है- हर महीने की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है। अक्टूबर महीने का पहला प्रदोष व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष पर रखा जाएगा।
इस साल यह व्रत 11 अक्टूबर 2023, बुधवार की है। बुधवार के दिन प्रदोष व्रत होने के कारण यह बुध प्रदोष व्रत है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की प्रदोष काल में पूजा- अर्चना करने से मनोकामना पूर्ण होती है और भगवान शिव की कृपा से दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। सूर्यास्त के समय को प्रदोष काल कहा जाता है।
बुध प्रदोष व्रत महत्व:-
मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। बुधवार के दिन प्रदोष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 11 अक्टूबर बुधवार को शाम 05 बजकर 37 मिनट पर प्रारंभ होगी और 12 अक्टूबर, गुरुवार को शाम 07 बजकर 53 मिनट पर होगा।
बुध प्रदोष व्रत पूजन मुहूर्त:-
11 अक्टूबर को बुध प्रदोष वन की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 56 मिनट पर और रात 08 बजकर 25 मिनट तक है।
शिव पूजन के लिए शुभ मुहूर्त:-
02 घंटे 29 मिनट तक है।
प्रदोष व्रत के दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त:-
ब्रह्म मुहूर्त - 04:40 ए एम से 05:30 ए एम प्रातः
सन्ध्या- 05:05 ए एम से 06:19 ए एम
विजय मुहूर्त- 02:04 पी एम से 02:50 पी एम
गोधूलि मुहूर्त - 05:56 पी एम से 06:21 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 05:56 पी एम से 07:11 पी एम
अमृत काल 04:26 ए एम अक्टूबर 12 से 06:14 ए एम, अक्टूबर 12
प्रदोष व्रत पूजन विधि:-
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। अगर संभव है तो व्रत करें। भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें। इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान ग की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान की पूजा की जाती है।
भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान शिव की आरती करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।