तपस्या बिना सम्वतसरी पर मनाना सार्थक नहीं प्रवर्तक श्री विजयमुनिजी म. सा., क्षमापना के साथ जैन स्थानक समाज के प्रर्युषण पर्व का समापन

Neemuch headlines September 21, 2023, 6:18 pm Technology

नीमच ।धर्म कर्म के पुण्य कर्म बिना जो जीवन जीते हैं वह सच्ची आयु नहीं होती है। आत्म बल मजबूत हो तो तपस्या पूर्ण हो जाती है। तपस्या बिना सम्वतसरी पर्व मनाना सार्थक नहीं होता है। धर्म कर्म के साथ जो आयु बितती है वही व्यक्ति की सच्ची पुण्य आयु होती है। । यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, आगम मनस्वी साहित्य भूषण कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. ने कही ये श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन में आयोजित चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संवतसरी पर्व समस्त जीव दया और भूल भूल हो जाने पर प्रायश्चित कर क्षमा मांगने का पवित्र दिन है। जाने अनजाने में जो भूल गलतियां हुई उन पर आत्म चिंतन करने का दिन है। हर व्यक्ति लंबी आयु जीना चाहता है। कोई भी मरना नहीं चाहता। व्यक्ति अधिक आयु चाहिए और कोई पुण्य कर्म तपस्या आराधना नहीं करें तो वह जीवन व्यर्थ हो जाता है। और यदि व्यक्ति कम आयु जिंदा रहे और पूरा समय पुण्य भक्ति तपस्या में लगाए तो वह जिंदगी सफल होती है।

कंस रावण, कौरव लंबी आयु जीवन किया लेकिन सद्गति नहीं प्राप्त कर सके। धर्म के पुण्य कर्म में जो समय लगता हैं वही जीवन की सच्ची आयु होती है। धर्म ध्यान बिना जीवन का उत्थान नहीं होता है। तपस्या में होड़ नहीं करना चाहिए। सम्वतसरी उपवास कर जीवन सफल बनाने का सशक्त माध्यम होता है। जैन धर्म में जन्मे तो सद्गति के लिए तपस्या उपवास प्रतिक्रमण करना चाहिए । आत्म बल मजबूत हो तो तपस्या पूर्ण हो जाती है झुठे आडम्बरों को त्याग कर जीवन जीना चाहिए। धर्म आध्यात्मिक का जीवन जीना चाहिए दान देने वालों को रोकने का पाप लगता है और वह स्वयं भी कि यदि कभी दान करना चाहे तो नहीं कर पाता है। दान सदैव गुप्त देना चाहिए क्योंकि दान स्नान और ध्यान एकांत मैं ही होते हैं गुप्त स्थान पर ही होते हैं तभी सफल और सार्थक होते हैं। 

अन्तकृशांक सूत्र ग्रंथ के वाचन का समापन दोपहर में किया इसमें समाजजनों ने उत्साह के साथ भाग लिया। इस अवसर पर स्थानकवासी जैन समाज के प्रर्युषण पर्व क्षमा याचना दिवस एक दूसरे से क्षमा मांग करऔर कहा अपने से जाने अनजाने में हुई भूल के लिए प्रायश्चितकर क्षमा मांगी सम्वतसरी पर्युषण पर्व विभिन्न साधना आराधना एवं तपस्याओं के साथ संपन्न हुआ पर्व के अंतिम एवं सबसे महत्वपूर्ण दिन क्षमा याचना पर्व प्रभु का स्मरण किया गया।

नवकार मंत्र का जाप किया गया। वर्धमान स्थानक समाज का महापर्व पर्युषण पर्व विभिन्न प्रार्थना के साथ निरंतर प्रवाहित हुआ ।

उपवास की तपस्या पूर्ण होने पर दोपहर 2 बजे वात्सल्य भवन में चौबीसी का आयोजन किया गया । इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गए। सुबह 6:30 बजे प्रार्थना 6 बजे से शाम 6 बजे तक दिवाकर भवन में नियमित नवकार मंत्र के जाप तथा सुबह 8:30 बजे नियमित प्रवचन प्रवाहित हुए । दोपहर में जैन धार्मिक प्रतियोगिता आयोजित हुई। सभी समाज जनों के साथ भाग लेकर तपस्या के साथ अपनी आत्मा का कल्याण मार्ग प्राप्त किया है। चतुर्विद संघ की उपस्थिति में चतुर्मास काल तपस्या साधना निरंतर प्रवाहित हो रही है। इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने सामूहिक अनुमोदना की धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा. एवं साध्वी विजय श्री जी म. सा. का सानिध्य मिला।

इस अवसर पर श्री अभिजीतमुनिजी म. सा. श्री अरिहंतमुनिजी म. सा., ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि ठाणा का सानिध्य मिला। चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया। इस अवसर पर श्री वर्धमान स्थानकवासी श्रावक संघ अध्यक्ष अजीत कुमार बम, चातुर्मास समिति संयोजक बलवंत मेहता, सागरमल सहलोत, मनोहर शम्भु बम्म, सुनील लाला बम्ब, निर्मल पितलिया, सुरेंद्र बम्म, वर्धमान स्थानकवासी नवयुवक मंडल अध्यक्ष संजय डांगी , दिवाकर महिला मंडल अध्यक्ष रानी राणा, साधना बहू मंडल अध्यक्ष चंदनबाला परमार आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया। धर्म सभा का संचालन प्रवक्ता भंवरलाल देशलहरा ने किया।

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