चीताखेड़ा। बुधवार को संवत्सरी के समापन के अवसर पर प्रातः 11:00 प्रभु की विशेष आरती के पश्चात पुरानी परंपरानुसार धार्मिक माहौल से परिपूर्ण वातावरण में गाजे-बाजे ढोल ढमाकों के साथ भगवान महावीर के अपने मुखोटे को संचित विशेष विमान में विराजमान कर गांव के निर्धारित मार्गों से भव्य वरघोड़ा महावीर के जय घोष के गगनभेदी जयकारा लगाते हुए नाचते झूमते नृत्य करते हुए निकाला गया. भव्य वरघोडा में त्रिशला नंदन भगवान महावीर स्वामी बड़े ही निराले ठाट के साथ भक्तों को दर्शन देने निकले महावीर जिनके ठाट को देखने के लिए उमडे जैन - अजैन भक्त ।
वरघोड़ा में सबसे आगे जैन धर्म का प्रतीक ध्वज युवक हाथ में लिए लहराते हुए चल रहे थे । वृहद रूप से भव्य वरघोड़े में जैन अनुयायियों द्वारा जैनम् जयति शासनम ....... वंदे वीरम.... ... पार्श्वनाथ की जय...महावीर की जय........ नाकोड़ा भैरव की जय जय घोष के साथ नाचते झूमते गांव के विभिन्न मार्गों से भव्य वरघोड़ा निकाला गया। जगह जगह जैन महिलाओं ने द्वार द्वार प्रभु के विमान के सामने अक्षत की गऊली बनाकर श्रीफल, फुल- फ्रुट चढ़ाकर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।
विमान उठाने वालों की पुण्य लाभ अर्जित करने के लिए पूरे रास्ते में होड़ मची रही, महावीर का विमान उठाने का सौभाग्य हर कोई प्राप्त करना चाह रहा था। इस तरह भक्ति की यह भीड़ प्रातः 11 बजे श्री चंदाप्रभु जी बड़ा जिनालय से प्रारंभ होकर नीम चौक जैन गली चांदनी चौक, बस स्टैंड से परिभ्रमण करते हुए जैन दादावाड़ी पहुंचा जहां पर नवपद पूजा की गई। तत्पश्चात भव्य वरघोड़ा सदर बाजार होते हुए श्री मुनीसुव्रत स्वामी जिनालय पर शाम 5:15 बजे पहुंचा जहां निर्बाध रूप से निर्धारित कार्यक्रम जारी रहा, विशेष आरती के बाद प्रभावना वितरण की गई। जैन श्री संघ के द्वारा कार्यक्रम के अंत में सामूहिक रूप से स्वामीवात्सल्य किया गया।